नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर जहां इसका ठिकरो किसानों पर फोड़ा जा रहा हैं वहीं दुसरी तरफ विपक्षी दलों के नेता इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं. विपक्षी दलों के नेताओं ने दिल्ली में हुई हिंसा को गलत बताते हुए इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को जो कुछ भी घटा, उसके लिए विपक्ष सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है. विपक्षी दलों के कई नेताओं ने इस हिंसा के लिए सरकार पर निशाना साधा है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बीच कृषि संबंधित तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है और इससे नुकसान देश का ही होता है. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि दिल्ली में जो कुछ हुआ वह अपरिहार्य है, लेकिन कोई भी उन कारणों की अनदेखी नहीं कर सकता, जिसके कारण उन्होंने स्थिति का विरोध किया क्योंकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग के खिलाफ चेतावनी दी.
केंद्र में भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने आंदोलन के नाम पर अपराध करने वालों पर कटाक्ष किया और इसे अस्वीकार्य करार दिया. दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने हिंसा की कड़ी निंदा की, लेकिन केंद्र को इस हद तक बिगड़ने की अनुमति देने के लिए दोषी ठहराया. एक बयान में आप ने कहा कि हिंसा ने आंदोलन को निश्चित रूप से कमजोर किया, जो शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीके से चल रहा था.
राजनीतिक क्षेत्र में नेताओं ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा की निंदा की, किसानों द्वारा ट्रैक्टर मार्च के दौरान पूर्व निर्धारित मार्गों से भटक रहे तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के बाद, पुलिस के साथ झड़पें हुईं, बैरिकेड्स तोड़ दिए गए और लाल किले पर बवाल मचा. यहां तक कि स्थिति बिगड़ने देने के लिए विपक्ष ने केंद्र पर हमला बोला.
दिन के घटनाक्रम के बाद, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने जिस तरह से किसानों की ट्रैक्टर परेड निकाली, उससे शर्मिंदा महसूस किया और इसकी जिम्मेदारी ली. एक बयान में, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिद्दी का रास्ता छोड़ना चाहिए और तीनों कृषि कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए.
वाम नेताओं ने भी हिंसा की निंदा की, लेकिन स्थिति को बिगड़ने देने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, मोदी सरकार द्वारा इस स्थिति को लाया गया है. किसान 60 दिनों से अधिक समय तक ठंड में शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें दिल्ली में आने की अनुमति नहीं है और 100 से अधिक किसान मारे गए हैं. वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा अस्वीकार्य है, यहां तक कि उन्होंने अपने राज्य में हाई अलर्ट का आदेश दिया.
इसके अलावा भाजपा की पुरानी सहयोगी और महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार में शामिल शिवसेना ने भी गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार हठराया हैं. शिवसेना नेता संजय राउत ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, सरकार इस हिंसा को रोक सकती थी अगर वो किसानों की बात मान लेती. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में आज जो कुछ चल रहा है उस पर कोई भी समर्थन नहीं देगा. उन्होंने कहा कि सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस क्यों नहीं ले रही है. क्या कोई यहां पर
अदृश्य राजनीति कर रहा है.