राकेश टिकैत का केंद्र सरकार को चेतावनी
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को हरियाणा के सोनीपत जिले में हमला बोला है. राकेश टिकैत ने निशाना साधते हुए कहा कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं. बीकेयू नेता टिकैत ने चेतावनी दी है की अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा. वह इस महीने हरियाणा में किसान महापंचायत कर रहे हैं. बता दें कि तोमर ने कहा था कि सिर्फ भीड़ के जमा होने से कानून रद्द नहीं होंगे.
सोनीपत जिले के खरखौदा की अनाज मंडी में किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने रविवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कहा था कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार है, लेकिन महज भीड़ जमा हो जाने से कानून रद्द नहीं होंगे.
उन्होंने किसान संघों से सरकारों को यह बताने का आग्रह किया कि इन नए कानूनों में कौनसा प्रावधान उन्हें किसान विरोधी लगता है. इस पर पलटवार करते हुए टिकैत ने महापंचायत में कहा, राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते. जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है. यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं. टिकैत ने कहा, सरकार को मालूम होना चाहिए कि अगर किसान अपनी उपज नष्ट कर सकता है तो आप उनके सामने कुछ नहीं हो.
यह भी पढ़े : गलत पेश की गई गैर वैज्ञानिक दवा को डब्ल्यूएचओ ने खारिज करना भारत के जनता की बेइज्जती आईएमए ने साधा निशाना
उन्होंने कहा, ‘कई सवाल हैं. सिर्फ कृषि कानून नहीं है, लेकिन बिजली (संशोधन) विधेयक है, बीज विधेयक है, वे किस तरह के कानून लाना चाहते हैं? टिकैत ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार की आलोचना भी की. किसान नेता ने कहा, मौजूदा आंदोलन सिर्फ उस किसान का नहीं है, जो फसल उगाता है, बल्कि उसका भी है, जो राशन खरीदता है. उस छोटे से छोटे किसान का भी है, जो दो पशुओं से आजीविका चलाता है. उन मजदूरों का भी है ,जो साप्ताहिक बाजार से होने वाली आय से अपना गुजारा करते हैं.
उन्होंने कहा, ये कानून गरीब को तबाह कर देंगे. यह सिर्फ एक कानून नहीं है, इस तरह के कई कानून आएंगे. टिकैत ने कहा कि सरकार को 40 सदस्यीय समिति से ही बातचीत करनी होगी. सरकार और प्रदर्शनकारी संघों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन समाधान नहीं निकल सका.
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा कर रहा है जिसमें किसानों के 40 संघ शामिल हैं. टिकैत ने कहा, अब किसान सभी मोर्चों पर डटेंगे. वे खेती भी करेंगे, कृषि नीतियों पर भी निगाह रखेंगे और आंदोलन भी करेंगे. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए, उन्होंने कहा, जब एमएसपी पर कानून बनेगा तब किसानों का संरक्षण होगा. यह आंदोलन उसके लिए है. यह किसानों के अधिकार के लिए है.
यह भी पढ़े : लॉकडाउन की वजह से भूख और कुपोषण में वृद्धि के बाद भी केंद्र सरकार का जन विरोधी बजट
बता दें कि दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर बीते साल 28 नवंबर से किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बिच किसान संगठनों और सरकार के बिच लगभग 11 दौर की बातचित भी हो चुकी है, लेकिन उसमे कोई हल नहीं निकल पाया है. इस बिच किसानों ने भारत बंद, दिल्ली में टै्रक्टर परेड, चक्का जाम, रेल रोको जैसे आंदोलन भी किए, लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है. किसान संगठन जहां नए तिनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार इस कानून के फायदे गिनाकर इसे रद्द न करने पर अड़ी हुई है. इस बिच लगभग 160 से ज्यादा किसानों की आत्महत्या, बिमारी, हाड़कपकपाती ठंड और अन्य अलग अलग वहज से मौत भी हो चुकी है.
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.