नई दिल्ली : एक तरफ देश में जहां करोड़ों लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ देश में करोड़ों टन अनाज और लाखों टन फल, सब्जियां सड़ जाती हैं. लेकिन, आईएआरआई के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने एक खास बातचीत के दौरान कहा कि देश में कुल उत्पादन का 30 से 40 फीसदी तक फलों और सब्जियों की बर्बादी होती है. जबकि, कुल उत्पादन का 10 फीसदी अनाज खराब हो जाता है. परन्तु सच्चाई ये नहीं, असल में भारत में हर साल अरबों, करोड़ों टन अनाज और फल सब्जियां सड़ जाती हैं.
कुछ साल पहले एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई थी कि भारत में जितना अनाज सड़ जाता है उतना एक्ज़िट देशों का कुल उत्पादन नहीं होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की स्थिति कितनी भयावह है. इसके बाद भी भारत में हकीकत छिपाने के लिए गलत आंकड़े पेश किए जारहा हैं.
गौरतलब है कि एक ओर देश में मजदूर व मेहनतकश जनता भोजन के अभाव में तड़प रही है, वैश्विक भूख सूचकांक में देश नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका से भी नीचे 102वें स्थान पर पहुंच चुका है, करोड़ों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. वहीं एक जून 2020 को फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के पास गेहूं, धान और चावल का 10 करोड़ 40 लाख टन का भंडार पड़ा था. लेकिन पूंजीवादी सरकार इसको मजदूरों को मुफ्त तो छोड़िए, सस्ते दाम पर भी बांटने के लिए राजी नहीं हुई.
बता दें कि इंसान के लिए खाना एक ऐसी जरुरत है जिसके बिना वो नहीं जी सकता है, पर सोचिये क्या हो अगर भरपेट भोजन ही न मिले. दुनिया भर के करोड़ों लोगों के लिए कड़वी पर यही सच्चाई है. हाल ही में ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसेस द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में खाद्य संकट का सामना कर रहे लोगों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. हालांकि, इसके लिए कोरोना वायरस को एक बड़ी वजह माना जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार 2019 में करीब 13.5 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे जो 2020 में बढ़कर 26.5 करोड़ हो गए हैं. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम सहित दुनिया भर की 14 अन्य एजेंसियों द्वारा मिलकर तैयार की गयी है.
भारत में करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर
अगर भारत की बात करें तो भारत में खाद्य सुरक्षा की जो स्थिति है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि 117 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 में भारत को 102वां स्थान दिया गया था, जिसके अनुसार भारत उन 45 देशों में शामिल है जहां खाद्य सुरक्षा की स्थिति सबसे बद से ज्यादा बदतर है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, भारत में 2010 के बाद से लगातार बच्चों में कमजोरी बढ़ रही है. 2010 में पांच साल तक के बच्चों में कमजोरी की दर 16.5 प्रतिशत थी, लेकिन 2019 में यह बढ़कर 20.8 फीसदी हो गई है.
द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड, 2019 रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 194 करोड़ लोग कुपोषित हैं. साथ ही 15 से 49 साल की करीब 51.4 फीसदी महिलाएं खून की कमी का शिकार हैं. जबकि करीब 58 फीसदी आज भी भूखे पेट सोते हैं. वहीं यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्डस चिल्ड्रन 2019’ के अनुसार देश में 50 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
लॉकडाउन में दाने-दाने को मोहताज थे गरीब, सरकारी गोदामों में सड़ गया करीब 1600 टन अनाज
लॉकडाउन के दौरान जहां गरीब दाने-दाने को मोहताज रहे वहीं गोदामों में सैकड़ों टन अनाज सड़ गया. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान मई और जून में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में करीब 1600 टन अनाज सड़ गया था. ऐसा तब हुआ जब लॉकडाउन के दौरान भुखमरी से बचने के लिए लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने अपने पैतृक गांवों का रुख किया. मंत्रालय ने बताया कि मई में करीब 26 टन अनाज खराब गया था और जून में 1452 टन से ज्यादा अनाज खराब हुआ. इसी तरह जुलाई और अगस्त के महीने में 41 टन और 51 टन अनाज की बर्बादी हुई.
देश में हर साल करीब लाखों टन अनाज या तो चूहे खा जाते हैं या फिर सड़ जाते हैं. अगर अनाज को सही ढंग से रखा जाए तो इससे करोड़ों परिवारों को एक साल तक खाना खिलाया जा सकता है. देश में अनाज का सड़ जाता बेहद चिंता का विषय है खासकर उस देश में जहां हर रोज करोड़ों लोग भूखे सोते हैं.