राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर सरकार ने अपना स्टैंड और ज्यादा हार्ड कर लिया है. वो किसानों की मांगों को मानने के मूड़ में नहीं लगती. इसी वजह से आंदोलन का दायरा बढ़ाना जरूरी है.
नई दिल्ली : राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर सरकार ने अपना स्टैंड और ज्यादा हार्ड कर लिया है. वो किसानों की मांगों को मानने के मूड़ में नहीं लगती. इसी वजह से आंदोलन का दायरा बढ़ाना जरूरी है. उनका कहना है कि राजनीति का मुद्दा किसान और खेती को होना चाहिए. जयंत चौधरी ने चेताया की अगर सरकार इस बात को नहीं मानेगी तो सरकार ही बदल जाएगी.
किसान को राजनीति में क्यों खींचा जा रहा है? इस सवाल के जवाब में जयंत चौधरी ने कहा की खुद पीएम मोदी इसमें उलझ चुके हैं. सरकार किसान को न्याय देने के मूड़ में नहीं लग रही है. इसी वजह से हम पीलीभीत लखीमपुर खीरी के बार्डर पर पहुंचे हैं. किसानों को संगठित करने के लिए आंदोलन का दायरा बढ़ाना बहुत जरूरी है.
उनका कहना था कि यूपी में सीएम मुगलों को हमेशा याद करते रहते हैं. वह मुसलमानों को गाली देते रहते हैं. बार-बार मुजफ्फरनगर दंगों की याद दिलाते हैं. उनके पास हिंदू-मुसलमान छोड़कर कोई और बात ही नहीं होती. जबकि उनका मानना है कि सरकार की प्राथमिकता में किसान को होना चाहिए. किसान सभी का पेट भरने का काम करता है. सरकार को भी चाहिए कि उसके हित के लिए आवश्यक और शीघ्र कदम उठाए.
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गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के तीन माह पूरे हो चुके हैं. अभी तक 215 से ज्यादा किसानों की मृत्यु हो चुकी है. किसान संगठनों ने उनके लिए मोदी सरकार से एक-एक करोड़ रुपए बतौर मुआवजे की मांग की है, लेकिन सरकार अनसुनी किए हुए है. किसान संगठनों का कहना है कि आंदोलन का समर्थन ना केवल देश के सभी हिस्सों में है, बल्कि विदेशों मे रहने वाले भारतीयों द्वारा भी किया जा रहा है.
संगठनों का कहना है कि वो किसानों के अधिकारों और मांगों की लड़ाई जारी रखेंगे. जब तक मोदी सरकार इन तीन कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक किसान पीछे नहीं हटेंगे. किसान नेता राकेश टिकैत भी कह चुके हैं कि सरकार की नींद तोड़ने के लिए अब किसान 40 लाख ट्रैक्टरों से संसद की तरफ मार्च करेंगे.
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