विपक्ष का आरोप है कि सरकार हेडगेवार जी को तो पाठ्यपुस्तकों में शामिल कर रही है, वहीं मैसूर के शासक रहे टीपू सुलतान और स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को हटा रही है. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एआईडीएसओ) ने आरोप लगाया कि भगत सिंह के अध्याय को हटा दिया गया है. हालांकि पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने इससे इनकार किया है.
बेंगलुरु: नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र सरकार ने शिक्षा ब्राह्मणीकरण करने का अपना मसुबा पूरा कर लिया है. यही वजह है कि अब देश के कई राज्यों ने अपने सिलॅबस में वैज्ञानिक शिक्षा के बजाए रामायण, महाभारत, गीता और वेदों को शामिल किया गया है. अब कर्नाटक की भाजपा सरकार राज्य में दसवीं कक्षा के छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र से आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से संबंधित सामग्री की भी शिक्षा दी जाएगी. जिसका आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं है. इस निर्णय से सरकार पर राज्य की शिक्षा का ब्राह्मणीकरण करने का आरोप लगने लगे हैं. इसको लेकर विपक्ष ने भी अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है.
विपक्ष का आरोप है कि सरकार हेडगेवार जी को तो पाठ्यपुस्तकों में शामिल कर रही है, वहीं मैसूर के शासक रहे टीपू सुलतान और स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को हटा रही है. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एआईडीएसओ) ने आरोप लगाया कि भगत सिंह के अध्याय को हटा दिया गया है. हालांकि पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति ने इससे इनकार किया है. वहीं कर्नाटक टेक्स्टबुक सोसाइटी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि भगत सिंह पर 10वीं कक्षा की कन्नड़ पाठ्यपुस्तकों के पाठों को आरएसएस के विचारक हेडगेवार के भाषणों से बदला नहीं गया है. भगत सिंह से संबंधित सामग्री पहले की ही तरह पुस्तक में है, केवल हेडगेवार का पाठ बढ़ाया गया.
केटीबीएस के प्रबंध निदेशक, मेडेगौड़ा ने कहा, ‘‘लेखक रोहित चक्रवर्ती के नेतृत्व में एक समिति भी गठित की गई थी जो छठी से दसवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों और पहली से दसवीं कक्षा की कन्नड़ पाठ्यपुस्तकों की जांच करेगी. पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के अध्यक्ष रोहित चक्रवर्तीर् ने कहा कि हेडगेवार पर अध्याय में उनके एक भाषण का जिक्र किया गया है, जिसमें उन्होंने युवाओं से कहा था कि वे किसी की मूर्ति न बनाएं, बल्कि अपनी पसंद की विचारधारा में विश्वास करें.
उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कर्नाटक में स्कूल की किताब से भगत सिंह पर आधारित एक पाठ को हटाने पर बीजेपी को घेरा है. उन्होंने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह कदम महान स्वतंत्रता सेनानी की शहादत का अपमान है और कर्नाटक सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने ट्वीट किया, ‘‘बीजेपी के लोग शहीद सरदार भगत सिंह जी से इतनी नफ़रत क्यों करते हैं? स्कूल की किताबों से भगत सिंह जी का नाम हटाना अमर शहीद की क़ुर्बानी का अपमान है. देश अपने शहीदों का ये अपमान बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा. बीजेपी सरकार को ये फ़ैसला वापस लेना होगा.
बता दें कि महापुरुषों के नाम, समाज के लिए उनके कार्यों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं से छात्र-छात्राओं को परिचित कराने तथा उनमें महान लोगों के प्रति सम्मान की भावना जगाने के लिए अक्सर उनकी पाठ्यपुस्तकों में पाठ के रूप में शामिल किया जाता रहा है. लेकिन अब भाजपा शासित राज्य अपने सिलॅबस में ऐसे लोगों को शामिल कर रही है जिनका देश और समाज के लिए कोई योगदान नहीं है. संघ की राजकीय शाखा कहे जाने वाली भाजपा अपने राज्यों में महापुरूषों के जीवन संघर्ष के बजाए रामायण, महाभारत, गीता, वेद और संघ के लोगों के लागों से संबंधित सामग्री पढ़ाना चाहती है. जो शिक्षा का ब्राह्मणीकरण है.
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.