सैदपुर गांव के प्रधान अमित सिरोही ने दावा किया कि गांव में करीब 2,000 घर हैं और इनमें से कम से कम 800 घरों में सेना में नौकरी करने वाले मिल जाएंगे. अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार अब इतनी सख्त है कि या तो बुलडोजर चलेगा
लखनऊ : सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाई गई योजना अग्निपथ को लेकर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. केंद्र सरकार द्वारा युवाओं को कुछ रियायत देने के बाद भी विरोध जारी है. इस योजना के विरोध में युवा पहले ही विरोध में उतरे हुए है. अब यूपी के बुलंदशहर के सैदपुर गांव में भी विरोध देखने को मिल रहा है. दरअसल यह फौजियों का गांव है. इस गांव में लगभग हर घर में बच्चे अपने दादा, पिता और भाइयों की तरह सशस्त्र बलों में शामिल होने का सपना देखते हैं.
जनसत्ता की खबर के अनुसार, सैदपुर गांव के प्रधान अमित सिरोही ने दावा किया कि गांव में करीब 2,000 घर हैं और इनमें से कम से कम 800 घरों में सेना में नौकरी करने वाले मिल जाएंगे. अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार अब इतनी सख्त है कि या तो बुलडोजर चलेगा, ये करियर खराब होगा. ये सरकार बाहुबली है, लोगों को झुकना ही पड़ेगा.
14 साल के शिव सिरोही के दादा और पिता दोनों सेना में सेवा दे चुके हैं. शिव का कहना है कि मेरा सपना फौजी बनने का है. मैंने कभी दूसरे करियर के बारे में नहीं सोचा. मैं अपना स्टेमिना बढ़ाने के लिए सुबह दौड़ता हूं, लेकिन नई योजना ने बहुत से लोगों को झकझोर दिया है. यहां तक कि मेरे माता-पिता को भी यकीन नहीं है कि जो मेहनत हम कर रहे हैं वो सिर्फ चार साल के लिए ही है.
यह भी पढ़ें : नूपुर शर्मा पर चार राज्यों में 9 एफआईआर, फिर भी गिरफ्तारी से दूर
वहीं 17 साल के आशीष का कहना है कि हम बचपन से फौजी कल्चर में पले-बढ़े हैं. यहां हर लड़का फौजी बनना चाहता है. अब अचानक से हमारे सामने दूसरे विकल्प आ गये हैं. आशीष के पिता दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. उसका कहना है कि सेना मेरे लिए अंतिम लक्ष्य था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि उसके बाद मुझे दूसरी नौकरी की तलाश करनी पड़ेगी. लेकिन नई योजना के तहत अब अनिश्चितता का माहौल है.
दो साल से सेना में जाने की तैयारी कर रहे 21 साल के हरीश कुमार का कहना है कि सरकार कह रही है कि जो भी चयनित होगा उसे चार साल बाद कम से कम 11 लाख रुपये मिलेंगे. क्या मैं इतने पैसों से घर बना सकता हूं? जमींदार किसानों के लिए यह आसान है लेकिन हम क्या करेंगे?
बता दें कि केंद्र द्वारा अग्निपथ योजना के ऐलान के साथ ही देशभर में विरोध प्रदर्शन देखे गये. इसी क्रम में यूपी के अलीगढ़ में एक पुलिस चौकी और वाहन को आग लगा दी गई. जिसको लेकर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों पर मामला दर्ज किया गया. इसमें नौ सेना कोचिंग सेंटर संचालकों को भी गिरफ्तार किया गया.
नौकरी की असुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भर्ती होने वाले जवानों में 25 फीसदी को रेगुलर रखा जाएगा. केंद्र की नई सैन्य भर्ती स्कीम में लगभग 45,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी, और उनमें से केवल 25 फीसदी को ही सेना में स्थाई किया जाएगा. बाकि 75 फीसदी को चार साल के बाद रिटायर कर दिया जाएगा. इस योजना का सबसे पहले बिहार में विरोध किया गया था, जो अब भी जारी है. सियासी दलों के नताओं के साथ ही रक्षा एक्सपर्ट की केंद्र की इस योजना पर सवाल खड़े कर चुके हैं
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.