बामसेफ के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजाता काले ने कहा की की आज के ही दिन यानी 25 दिसम्बर को डॉ.बाबासाहाब अंबेडकर ने आजीवन किताबों को बहोत ही अहमियत दी. दुनिया की हर तरह की किताब उन्होंने पढ़ी.
पुणे : बामसेफ के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजाता काले ने कहा की की आज के ही दिन यानी 25 दिसम्बर को डॉ.बाबासाहाब अंबेडकर ने आजीवन किताबों को बहोत ही अहमियत दी. दुनिया की हर तरह की किताब उन्होंने पढ़ी. उन्होंने किताबे भी लिखी. किताबे रखने के लिए उन्होंने एक घर भी बनाया. लकिन उन्ही बाबासाहाब ने अपने जीवन में मनुस्मृति नाम की किताब आज के ही दिन जलाया था. जिन्होंने अपने जीवन में किताबों को इतनी अहमियत दी, उन्होंने आज के ही दिन इस किताब को आग लगाई.
उन्होंने कहा, जिस किताब ने भारत के शूद्रों और महिलाओं को कानून बना कर गुलाम बना के रखा था, उस किताब को जलाने का काम बाबासाहाब ने किया. इसलिए यह दिन भारत में रहने वाले शूद्रों और महिलाबओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन है. साथ ही दुनिया में मसावाद को मानने वाले जो धर्म है उसमें ख्रिश्चन भी है. आज खि््रा्रसमस डे भी है. इस मौके पर सुजाता काले ने मनुस्मृमि दहन और खि््रसमस डे पर उपस्थित सभी को शुभकामनाए दी.
सुजाता काले ने कहा, आज मनुस्मृति दहन का दिन है. इस किताब को बाबासाहाब ने जलाने का काम किया था. आज हमारे सामने सवाल है की जो किताब बाबासाहाब ने जलाई थी, क्या उस किताब के द्वारा बनाए गए जो कानून है, वह आज हमारी समाज व्यवस्था और महिलाओं के साथ हो रहे व्यवहार के उपर उनका कुछ असर हो रहा हैं? उन्होंने कहा बाबासाहाब ने जिस मकसद से इस किताब को जलाया था, क्या वो मकसद हल हुआ है? इस सवाल के जवाब के रूप मे हम देखे तो आज जो विषय चर्चा के लिए रखा है वह उसका जवाब इस विषय में हैं.
उन्होंने कहा, आज महिलाओं पर जो अत्याचार बढ़ रहे है, इसको लेकर मीडिया में चर्चा कि जा रही हैं की पुरूषों की वजह से यह अत्याचार बढ़ रहे हैं. तो केवल पितृसत्ताक व्यवस्था इसका कारण नहीं है बल्कि ब्राम्हणी व्यवस्था भी इसका प्रमुख एक कारण हैं. उन्होंने कहा, मनुस्मृति के द्वारा जो पाबंदिया महिलाओं पर लगाई गई थी, उनकी सोच, व्यवहार, आजादी पर पाबंदियां लगाई गई थी.
जिसके चलते महिलाओं का शोषण हो रहा था. वो शोषण आज भी हो रहा है. केवल हो ही नहीं रहा हैं बल्कि बढ़ रहा हैं. यह कितना बढ़ रहा हैं जिसके आंकडे मीडिया में देख रहे है. लेकिन इसकी जो गंभीरता हैं, इसका एहसास हमारी महिलाओं को होना चाहिए वो नहीं हो रहा हैं. क्योंकि हम लोग इसे एक घटना के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन इसके पिछे की गंभीरता को हम नहीं देख रहे हैं.
उन्होंने कहा, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के बारे में तो हमें पता है, लेकिन अत्याचार की बात जब हम करेंगे तो महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की बात कहां से शुरू होती है. वो अगर देखे तो सबसे पहले हमारे सामने समाज आता हैं. अत्याचार समाज, परिवार में होता है.
महिलाएं जहां काम करती है, वहां होता है. मतलब जिस क्षेत्र में भी महिला जाती है वहां भी महिला के साथ अन्याय अत्याचार होता है. अगर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की बात हम करते हैं तो उसकी शुरूवात समाज, जहां वो काम करती है वहां से बाद में शुरूवात होती हैं, पहले उसकी घर से शुरूवात होती है. क्योंकि महिलाओं पर हो रहे जो घरेलु अत्याचार हैं, यह बहोत बड़े पैमाने पर होते हैं. आज के तारिख में यह कितने हो रहे है, इसको अगर देखे तो कोरोना महामारी के दौरान 25 मार्च से 31 मई तक केवल 68 दिनों में महिलाओं पर घरेलु अत्याचार के लगभग 3,11,477 केसेस रजिस्टर हुए.
उन्होंने कहा, यह केवल रजिस्टर आंकडा है, लेकिन इसकी संख्या की ज्यादा है. महिलाओं के अत्याचार के मामले पर गौर करे तो 86 फीसदी महिलाए इसके खिलाफ मुंह तक नहीं खोलती हैं. वह किसी के साथ भी घरेलु अत्याचार की बात शेअर नहीं करती हैं. यही नहीं तो 77 फीसदी महिलाए अत्याचार को लेकर किसी से मदद भी नहीं मांगती हैं. जहां मदद मिलने की संभावना होती है उन्हें भी महिलाए नहीं बताती. हम समाज और परिवार की बात कर रहे है, लेकिन उसके परिवार में यह व्यवहार हो रहा हैं.
महिलाओं के हिफाजत को जिन्होंने ठेका ले रखा है, वही उसके पिता, भाई, बहन, पति, बेटे के ही द्वारा उस पर अत्याचार हो रहे हैं. यह गंभीर बात है. घर के ही लोग उन घर की महिलाओं पर अन्याय करते हैं तो उनकी मानसिकता पुरूषप्रधान व्यवस्था की हैं. इस व्यवस्था पर ब्राम्हणी व्यवस्था का असर होने से इसका हमारे घर के ही लोगों पर असर हो रहा हैं.
PAY BACK TO THE SOCIETY NATIONWIDE AGITATION FUNDDonate Here
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.