पंजाब के किसान पिता-पुत्रों ने सुसाइड नोटों में अपनी मौत के लिए जिम्मेदार मोदी सरकार को ठहराया है. यह मामला होशियारपुर जिले के मुहद्दीपुर गांव का है. मृतकों की पहचान नंबरदार जगतार सिंह उनके बेटे कृपाल सिंह के रूप में हुई है.
नई दिल्ली : पंजाब के किसान पिता-पुत्रों ने सुसाइड नोटों में अपनी मौत के लिए जिम्मेदार मोदी सरकार को ठहराया है. यह मामला होशियारपुर जिले के मुहद्दीपुर गांव का है. मृतकों की पहचान नंबरदार जगतार सिंह उनके बेटे कृपाल सिंह के रूप में हुई है. सुसाइड नोट में उन्होंने मोदी सरकार के साथ-साथ पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया है. दोनों पिता-पुत्र किसान आंदोलन में खासे सक्रिय रहे थे. वो सिंघू बार्डर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल भी हुए थे.
जगतार सिंह इससे पहले गांव के सरपंच भी रह चुके हैं. परिजनों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों सुसाइड नोट बरामद किए. इनमें लिखा है कि मोदी सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है. सरकार किसानों के मन की बात नहीं सुन रही है. कृषि कानूनों ने किसानों को बर्बाद कर दिया है. कैप्टन सरकार ने भी हमारा कर्ज माफ नहीं किया है. हम तंग आ गए हैं, अब जीना नहीं चाहते. इसलिए हम खुदकुशी कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जगतार सिंह के पास 3 एकड़ जमीन थी. 1-1 एकड़ उसने अपने दोनों बेटों के नाम कर दी थी. अपने हिस्से की एक एकड़ जमीन का कुछ भाग उसने कुछ अर्सा पहले लोन चुकाने के लिए बेच दिया था. पिता-पुत्रों पर 6.50 लाख रुपए का कर्ज था. जगतार के बडे बेटे इंद्रजीत ने बताया कि वह अपने पिता से अलग होकर रह रहा था. उसका कहना है कि पिता व भाई की मौत के बाद उसे घर से एक नोटिस मिला था.
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यह नोटिस उस्मान शहीद मल्टीपर्पज कॉपरेटिव सोसायटी का है. इसमें लिखा है कि कृपाल ने 1,67,365 लाख का लोन लिया था. वह 31 जुलाई 2018 से डिफॉल्टर हो चुका है. अगर उसने ब्याज समेत 2,05,418 रुपए नहीं चुकाए तो उसके मकान को नीलाम करने की बात पत्र में कही गई थी. इस लोन में गारंटर जगतार सिंह था. सोसायटी के पत्र में उसके खिलाफ भी कार्यवाही की बात की गई है. सोसायटी से सचिव अमृत सिंह का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं है. उनका कहना है कि लोन वेवर स्कीम के तहत उनकी फाइल पिछले साल अक्टूबर में क्लीयर की जा चुकी है.
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे है. इस बीच किसानों के आत्महत्या करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. किसान आंदोलन में शामिल हुए 200 से ज्यादा लोगों की अब तक अलग-अलग वजहों से मौत हो चुकी है. इनमें से कुछ ने आत्महत्या कर ली तो कई किसानों की मौत हार्ट अटैक, ठंड लगने और हादसों की वजह से हो गई.
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