भारतीय लोग पैसा कमाने के लिए लंबे समय से दूसरे देश में बड़ी संख्या में जाते रहे हैं लेकिन अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्होंने भारत में रहकर ही अथाह संपत्ति इकठ्ठा की और फिर दूसरे देशों की तरफ निकल लिए. यहां तक कि कोरोना काल में जब भारत से विदेश यात्राएं बंद थी उस दौरान भी अमीर भारतीय विदेशी नागरिकता के लिए निवेश वाली योजना के बारे में सबसे अधिक पूछताछ करने में पहले नंबर पर थे. दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो अमीर लोगों को इस शर्त पर नागरिकता देते हैं कि वे वहां पर भारी निवेश करेंगे.
नई दिल्ली : जब प्रधानमंत्री ये दावा करते है कि भारतीय पासपोर्ट का वजन बढ़ा है. जब पासपोर्ट का वजन बढ़ा है तो इसे रखने वाले अमीर लोग क्यों इससे छुटकारा पाना चाह रहे हैं? खास बात यह है कि खूद को राष्ट्रवादी कहने वाले भारतीय अरबपति लोग टैक्स बचाने के चक्कर में विदेशों में भाग रहे है. भारत सरकार के आंकडों के अनुसार हर रोज 350 भारतीय अरबपति अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं. एक जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2021 के बीच करीब नौ लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अभी कुल 1,33,83,718 भारतीय नागरिक विदेशों में रह रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2019 में सबसे ज्यादा 1.44 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी. देश की नागरिकता छोड़ने वालों में भारत के करोड़पति और अरबपतियों की भी भारी तादाद है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2016 से 2021 के बीच, कुल 7,49,765 भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग किया, जिसमें से 2019 में सबसे अधिक 1.44 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी. इसके पहले वर्ष 2016 में 1.41 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी.
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 से 6.08 लाख भारतीयों ने विदेशी राष्ट्रीयता पाने के लिए अपनी नागरिकता छोड़ दी. वर्ष 2017 के बाद से देश छोड़ने वाले भारतीयों का बड़ा हिस्सा अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड चला गया. वर्ष 2017 के बाद से भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों में से 82 फीसद ने इन चार देशों की नागरिकता ली. वर्ष 2019 में जब सबसे अधिक संख्या में भारतीयों ने अपनी नागरिकता का त्याग किया, तो इन चार देशों में ही 85 फीसद लोग गए. वर्ष 2017 के बाद से, कम-से-कम 2.56 लाख भारतीयों ने अमेरिका के लिए अपनी नागरिकता छोड़ दी, जबकि 91,000 से अधिक लोग कनाडा चले गए.
देश की नागरिकता छोड़ने वालों में भारत के करोड़पति और अरबपतियों की भी भारी तादाद है. मार्गन स्टेनली बैंक ने साल 2018 में कुछ आंकड़े जारी किए थे. इसके मुताबिक, वर्ष 2014-18 के बीच 23,000 भारतीय करोड़पतियों ने देश छोड़ा था. ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 5,000 भारतीय करोड़पति अकेले साल 2020 में भारत छोड़कर विदेश चले गए.
दूसरे देशों की नागरिकता और वीजा दिलाने वाली ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी हेनली एंड पार्टनर्स का कहना है कि गोल्डन वीजा यानी निवेश के जरिए किसी देश की नागरिकता चाहने वालों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट के मुताबिक नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वालों में 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों की संख्या 54 फीसद बढ़ी थी. वर्ष 2020 में भी साल 2019 के मुकाबले इस संख्या में 63 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
भारत के धनी लोगों द्वारा नागरिकता छोड़ने की बड़ी वजह कारोबार में असुरक्षा की भावना होना है. कुछ जीवन स्तर की तलाश में विदेश चले गए .पढ़ाई-लिखाई के लिए भी कई परिवार गए हैं. पढ़ाई के लिए विदेश गए लोगों में से करीब 70-80 फीसद युवा वापस भारत नहीं लौटते. अच्छे भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वे विदेशों में ही बस जाते हैं. बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी जाने की एक वजह है. बेरोजगारी की वजह से ज्यादातर लोग कनाडा का रुख करते हैं.
वहीं भारतीय लोग पैसा कमाने के लिए लंबे समय से दूसरे देश में बड़ी संख्या में जाते रहे हैं लेकिन अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्होंने भारत में रहकर ही अथाह संपत्ति इकठ्ठा की और फिर दूसरे देशों की तरफ निकल लिए. यहां तक कि कोरोना काल में जब भारत से विदेश यात्राएं बंद थी उस दौरान भी अमीर भारतीय विदेशी नागरिकता के लिए निवेश वाली योजना के बारे में सबसे अधिक पूछताछ करने में पहले नंबर पर थे. दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो अमीर लोगों को इस शर्त पर नागरिकता देते हैं कि वे वहां पर भारी निवेश करेंगे.
भारत सरकार के केंद्रीय निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) की समिति इस बात की जांच कर रही है कि आखिर किस वजह से देश के धनी लोग विदेशों का रुख कर रहे हैं? इसके साथ ही ये कमेटी इस बात का भी पता लगाएगी कि इनके जाने से देश में आने वाले टैक्स पर क्या असर पड़ेगा. सीबीडीटी को आशंका है कि देश के अमीर लोग टैक्स बचाने के चक्कर में विदेशों में बस जा रहे हैं. इन अमीरों के देश छोड़ने से देश को भारी कर का नुकसान होता है.
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