अकोल के दोनों बच्चों अंजली और अर्जुन को ट्रिब्यूनल की ओर से 2012 में नागरिकता साबित करने को लेकर समन मिला था, जिसके बाद उनके अर्जुन ने इससे हताश होकर आत्महत्या कर ली थी. अर्जुन की आत्महत्या की गूंज 2014 के लोकसभा चुनावों में भी सुनाई दी थी. अंजली ने बताया कि जब फरवरी में जब हमारी मां को नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस मिला तो यह हमारे लिए एक झटका था.
नई दिल्ली : असम में जो एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई तो कई लोगों ने आरोप लगाया की दस्तावेजों में छोटी-छोटी गलतियों के लिए उनके नाम एनआरसी की सूची बाहर कर दिये गए और उन्हें विदेशी घोषित किया गया. इसका परिणाम यह हुआ कि कई लोगों को सुसाईड करना पड़ा. इसके बाद कई विदेशी प्राधिकरण ने दस्तावेजों को देखकर या अपनी गलती मानते हुए उन्हे या उनके परिवार को भारतीय घोषित किया गया. ऐसा ही एक वाकया असम में सामने आया है. असम में नौ साल पहले नागरिकता साबित करने के लिए मिले नोटिस के बाद एक आदमी ने सुसाइड कर ली थी. अब बुधवार को उनकी मां को भारतीय घोषित गया है.
नागरिकता का प्रमाण पत्र मिलने के बाद उनका परिवार इस बात से काफी खुश है लेकिन अभी इसकी सूचना अकोल रानी नामासुधरा को नहीं दी गई है. अकोल की बेटी अंजली ने बताया कि ‘‘हम ये खबर अपनी मां की सुबह बताएंगे. इस सब के कारण हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.’’ 2015 में अकोल की बेटी को किसी तरह अपनी नागरिकता बचाने में सफलता प्राप्त हुई थी.
कछार जिले के सिलचर फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने अपने एक फैसले में कहा कि अकोल एक विदेशी नहीं है. उनके पास भारतीय नागरिक होने के पर्याप्त सबूत है. अकोल सिलचर से करीब 20 किलोमीटर दूर हरीतिकार गांव में रहती है. इस साल फरवरी में वर्ष 2000 में दर्ज किये केस के आधार पर अकोल को ट्रिब्यूनल की ओर से समन भेजा गया था, जिसमें कहा गया कि वह 25 मार्च 1971 के बाद गैर क़ानूनी तरीके से भारत में आकर बसी है.
गौरतलब है कि अकोल के दोनों बच्चों अंजली और अर्जुन को ट्रिब्यूनल की ओर से 2012 में नागरिकता साबित करने को लेकर समन मिला था, जिसके बाद उनके अर्जुन ने इससे हताश होकर आत्महत्या कर ली थी. अर्जुन की आत्महत्या की गूंज 2014 के लोकसभा चुनावों में भी सुनाई दी थी. अंजली ने बताया कि जब फरवरी में जब हमारी मां को नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस मिला तो यह हमारे लिए एक झटका था. मामला सामने आने के बाद स्थानीय वकीलों ने हमारा केस बिना फीस लिए लड़ने का फैसला किया, जिससे हमारी काफी मदद हुई.
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत करते हुए स्थानीय वकील अनिल देय ने बताया कि अकोल एक असम की असली नागरिक है. उनका जन्म असम ने ही हुआ है और यहीं पलीबड़ी है. उनका नाम 1965, 1970 और 1977 की वोटर लिस्ट में है. 1971 से पहले उनके नाम पर असम में जमीन भी है, जिसके कारण वह अपनी नागरिकता साबित कर पाई.
बता दें कि हाल ही में गुवाहटी हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि असम में विदेशी न्यायाधिकरण अगर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करता है तो दोबारा उसे विदेशी घोषित नहीं किया जा सकता है. अदालत ने 12 याचिकाओं की सुनवाई पर यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि ‘रेस ज्यूडिकाटा’ का सिद्धांत राज्य में विदेशी न्यायाधिकरणों पर भी लागू होता है. हाईकोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष दायर कई रिट याचिकाओं में जो चीज समान है, वह है रेस ज्युडीकाटा के सिद्धांत की प्रासंगिकता.
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