×

आरएसएस ने संघ मुख्यालय पर तिरंगा फहराने वालों के खिलाफ कर दिया था केस, अब संघ के प्रचारक रहे पीएम मोदी के हर घर तिरंगा अभियान पर उठ रहे सवाल

Published On :    4 Aug 2022   By : MN Staff
साझा करें:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संघ के प्रचारक रहे हैं लेकिन आरएसएस ने 52 साल में एक भी बार अपने मुख्यालय पर झंडा नहीं फहराया था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देशभक्ति जाग गई है



नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संघ के प्रचारक रहे हैं लेकिन आरएसएस ने 52 साल में एक भी बार अपने मुख्यालय पर झंडा नहीं फहराया था. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देशभक्ति जाग गई है. उन्होंने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के लिए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान लॉन्च किया है. जिस पर सवाल उठाए जा रहे है. लोगों का सवाल है कि अगर तिरंगा फहराना ही देशभक्ति है तो आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर 52 साल में एक बार भी क्यों नहीं तिरंगा फहराया.


दरअसल महाराष्ट्र के बाबा मेंढे, रमेश कलम्बे और दिलीप चटवानी इस बात से क्षुब्ध थे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय पर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर भी तिरंगा नहीं फहराया जाता. इसलिए उन्होंने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पर 26 जनवरी 2001 तिरंगा फहराया. इसके बाद डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर की शिकायत पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया. यह मामला नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल पहले तक नागपुर की एक निचली अदालत में चल रहा था. अगस्त 2013 में अदालत ने तीन आरोपियों को बाइज्जत बरी किया.


आरएसएस पर किताब लिखने वाले प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम का दावा है कि संघ के अंग्रेजी मुखपत्र आर्गनाइजर ने 15 अगस्त, 1947 ने तिरंगे की भर्त्सना करते हुए लिखा था, ”हिंदुओं द्वारा तिरंगे का कभी सम्मान नहीं किया जाएगा. न ही उसे अपनाया जाएगा. तीन आंकड़ा अपने आप में अशुभ है. आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव गोलवलकर को नरेंद्र मोदी अपना गुरु मानते हैं. गोलवलकर ने अपनी किताब बंच ऑफ थॉट में तिरंगे के चयन पर सवाल उठाते हुए लिखा है, ‘‘हमारे नेताओं ने देश के लिए एक नया झंडा चुना है. उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह सिर्फ बहकने और नकल करने का मामला है.’


गोलवलकर ने चेताया था कि ‘यह (तिरंगा) कभी भी हिंदुओं के द्वारा न अपनाया जाएगा और न ही सम्मानित होगा’. उनके मुताबिक़ ‘तीन का शब्द तो अपने आप में ही अशुभ है और तीन रंगों का ध्वज निश्चय ही बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालेगा और देश के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा’. यही वजह है कि आरएसएस कभी भी तिरंगे को भारतीय राष्ट्र का ध्वज नहीं मानता. आज़ादी के बाद भी आरएसएस और हिंदू महासभा ने खुद को भगवा ध्वज को राष्ट्रध्वज न मानने की वजह से उत्सवों से दूर रखा.


जब तक आरएसएस देश की राजनीति से दूर रही, तिरंगे और भारतीय स्वाधीनता संघर्ष को लेकर उसकी राय का कोई बड़ा महत्त्व न रहा. लेकिन जैसे ही केंद्र में बीजेपी की सरकार आई आरएसएस राजनीतिक परिदृश्य पर हावी हो गई और उसने देश का रुख समझ न सिर्फ तिरंगा बल्कि स्वाधीनता संघर्ष को लेकर अपनी आपत्तियों को भी कालीन के नीचे सरका देने में भलाई समझी. इसीलिए यह नवदेशभक्त हर जगह तिरंगे को उसके विचार, भावना और प्रतीकात्मक महत्त्व से ज्यादा उसकी लंबाई-चौड़ाई और ऊंचाई पर ध्यान देते हैं. ताकि लोगों को यकीन हो जाए कि वो ही इस देश में इकलौते देशभक्त हैं.


गोलवलकर ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एक आम में कहा था कि सिर्फ और सिर्फ भगवा ध्वज ही भारतीय संस्कृति को पूरी तरह प्रतिबिंबित करता है. हमें पूरा यकीन है अंततः पूरा देश भगवा ध्वज के सामने ही अपना सिर झुकाएगा. इसी तरह, हिंदू महासभा के नेता वीडी सावरकर ने संविधान सभा में कहा था कि ‘भारत का प्रतीक सिर्फ भगवा-गेरू रंग ही हो सकता है.’ 


उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर किसी झंडे में ‘कम से कम एक पट्टी भी भगवा नहीं होगी, हिन्दू उसे अपना झंडा नहीं मानेंगे.’ सवाल उठता है कि जब केसरिया रंग झंडे में पहले से ही मौजूद था, सावरकर और गोलवलकर आदि उस रंग की अलग व्याख्या क्यों करना चाहते थे? उनकी यह बाते यही दर्शाती है कि उनको तिरंगा झेंडा मान्य नहीं है. इसलिए आजादी 52 साल तक देशभक्ति का ढोल पीटने वाले आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया. अब उसी संघ परिवार से आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर घर पर तिरंगा फहराने के लिए कह रहे है. 

संपर्क करें

आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:

email : news@mulniwasinayak.com


MN News On Facebook

लोक​प्रिय
प्रकाश अम्बेडकर को इंडिया गठबंधन में शामिल ने कराने के ल
अक्टूबर के पहले ही दिन महंगाई का झटका, कमर्शियल एलपीजी सि
कल भारत मुक्ति मोर्चा ने पुकारा ‘महाराष्ट्र बंद’, कई संग
अब 7 अक्टूबर तक बदल सकते हैं दो हजार रुपये के नोट, आरबीआई ने
राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा का गठन, 32 पार्टियां हुई शामिल,
महिला आरक्षण बिल को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, 2029 के बाद ह
जून के अंत में भारत का विदेशी कर्ज बढकर हो गया 629.1 बिलियन अम
80 फीसदी नफरत भरे बयान भाजपा शासित राज्यों में! हिंदुत्व व
युवक को अर्धनग्न कर गले में पट्टा बांधा, कुत्ते की तरह भौं
गणेश मूर्तियों के विसर्जन के दौरान डूबने से अलग-अलग जगह 14
चुनाव आयोग के कार्यालय पर ले जाएंगे लाखों लोगों को मोर्च
सेकुलर ताकतों को बर्बाद करने पर तुली हैं कांग्रेस, पूर्व
2024 से पहले भाजपा डूबेगी, अभी और लोग जाएंगेः एआईएडीएमके एनड
आईटी एक्ट के बदलाओं पर हाई कोर्ट ने कहा- इससे लोगों के मौल
मस्जिद में घुसकर लगाए ‘जय श्रीराम’ के नारे, इमाम को देखते
तमिलनाडु में बीजेपी को तगड़ा झटका, एआईएडीएमके ने एनडीए गठ
विशेष समुदाय का है इसलिए पिटाई करवाई तो... सुप्रीम कोर्ट न
1500 रुपये के विवाद में अनु.जाति की महिला के उतारे कपड़े, बेरह
मोहन भागवत में दिखा बामसेफ का खौफ, बोले- विरोध से हमारी क्
पंकजा मुंडे की फैक्ट्री को 19 करोड़ का जीएसटी नोटिस, नहीं भर
COPYRIGHT

All content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.


ABOUT US

It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.

Our Mission

Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.

© 2018 Real Voice Media. All Rights Resereved
 e - Newspaper