हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में काफी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.
नई दिल्ली : हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में काफी चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. इसमें कहा गया है कि देश में हर पांच में से दो बच्चे विटामिन-ए की कमी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए तैयार किए गए विटामिन-ए की खुराक से वंचित रह जाते हैं.
निष्कर्ष बताते हैं कि देश में राज्यों के बीच और उनके भीतर भी इसकी उपलब्धता के बीच बड़ी खाई है. इतना ही नहीं देश में कई जिले ऐसे हैं जहां विटामिन ए सप्लीमेंट की बहुत ज्यादा जरुरत है. देश में विटामिन ए की स्थिति को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने सभी 640 जिलों में इसकी उपलब्धता और पहुंच की मैपिंग की है. इसके लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एनएफएचएस-4) और राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है.
एनएफएचएस- 4 के चौथे दौर में जनवरी 2015 और दिसंबर 2016 के बीच 204,645 बच्चों पर सर्वे किया गया. इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 640 जिलों में जनसंख्या स्तर पर एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया. अधिकारियों ने पाया कि इनमें से 9 महीने से 5 साल की उम्र के 123,836 बच्चों (60.5 फीसदी) को विटामिन की खुराक मिली. यानि कि करीब 40 फीसदी बच्चे पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं.
इस सर्वेक्षण के दौरान अधिकारियों ने माता-पिता से जानने की कोशिश की कि उनके बच्चों को सर्वेक्षण के 6 महीने के भीतर विटामिन-ए मिला है या नहीं? अध्ययन के लेखक, डॉ कौस्तुभ बोरा के अनुसार, अध्ययन से पता चला है कि गोवा इस मामले में सबसे टॉप पर रहा जहां बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व मिल रहा है. मणिपुर (32.1 फीसदी), उत्तराखंड (36.9 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (40.0 फीसदी) का प्रदर्शन काफी निराश करने वाला है, कवरेज सबसे कम नागालैंड (29.5 फीसदी) में था. गौरतलब है कि साल 2006 से केंद्र सरकार ने 9 से 59 महीने के सभी बच्चों के लिए विटामिन-ए के खुराक की सिफारिश की है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक यह अध्ययन विटामिन ए की खुराक संबंधी आंकड़ों पर आधारित है जिसमें इसकी कमी के कारणों पर प्रकाश नहीं डाला गया है. लेकिन इससे इतना तो स्पष्ट है कि देश में बड़ी संख्या में जरूरतमंद बच्चों को इसकी खुराक नहीं मिल रही है. इसकी कम कवरेज मुख्यतः उन क्षेत्रों में ज्यादा है जहां बुनियादी ढांचे और उसकी पहुंच में दूरी है. साथ ही उन क्षेत्रों में संक्रमण का ऊंचा स्तर और स्वास्थ्य सुविधाओं की असमान उपलब्धता थी. वहीं समृद्ध क्षेत्रों में इसकी कवरेज ज्यादा थी. आमतौर पर इन क्षेत्रों की स्थिति स्वास्थ्य, जनसंख्या और सामाजिक आर्थिक विकास के मामले में कहीं ज्यादा बेहतर थी.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए पोषक तत्वों के संयोजन की नियमित आवश्यकता होती है. विटामिन-ए उसमें से एक प्रमुख पोषक तत्व है. यह विटामिन मानव शरीर में कई सेलुलर प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है. आंखों की रोशनी, शारीरिक और मानसिक विकास, घाव भरने, प्रजनन और प्रतिरक्षा के लिए इसका सेवन महत्वपूर्ण है. बच्चों को इसका डोज न मिल पाना उनमें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है.
गौरतलब है कि स्वस्थ जीवन के लिए बचपन को आधार माना जाता है, यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी माता-पिता को बच्चों को स्वस्थ और पौष्टिक आहार देने की अपील करते हैं. हालांकि भारत की स्थिति इस संदर्भ में अब भी काफी चिंताजनक बनी हुई है. देश में ज्यादातर बच्चों को शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं जिसके कारण उनमें कई प्रकार के रोगों के विकसित होने का खतरा बना रहता है.
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