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दिल्ली की मस्जिद में इमाम इलियासी से मिलने पहुंचे मोहन भागवत, मदरसे में बच्चों से किया संवाद

Published On :    23 Sep 2022   By : MN Staff
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बामसेफ से जुड़े संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के यूपी के लखनऊ में आयोजित सम्मेलन को अपार सफलता मिलने के आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत को मुस्लिमों की याद आई है.



नई दिल्ली : बामसेफ से जुड़े संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के यूपी के लखनऊ में आयोजित सम्मेलन को अपार सफलता मिलने के आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत को मुस्लिमों की याद आई है. जब की उनके संगठन से जुड़े लोग मुस्लिमों को आतंकवादी, विदेशी, जिहादी या पाकिस्तानी करार देते आ रहे है. जिनके संगठन के लोग आज भी मुस्लिमों से नफरत करते है और उनके स्मारकों पर दावा ठोक रहे है. एैसी क्या स्थिति आई कि उनके मुखिया को मुस्लिम इमामों से मिलने जाना पड रहा है. कुछ तो वजह हो सकती है.


मोहन भागवत ने 22 सितंबर यानी गुरुवार को दिल्ली में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की. इस मुलाकात से पहले उन्होंने कई और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा की थी. मोहन भागवत इलियासी से मिलने के लिए दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में स्थित उनके कार्यालय पहुंचे थे. वहीं मदरसे में मोहन भागवत ने बच्चों से सीधा संवाद किया और उनकी शिक्षा के संबंध में जानकारियां ली. करीब 45 मिनट तक भागवत मदरसे में रहे. जब की उनके संगठन के लोग आरोप लगाते है कि मदरसा से आतंकवादी निकलते है.


आल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी ने मदरसे के बच्चों से बातचीत के दौरान भागवत को ‘राष्ट्रपिता’ बताया. इस पर कुछ मुस्लिम जानकारों प्रतिक्रिया आई है. उनका कहना है कि मोहन भागवत अहमद इलियासी के राष्ट्रपिता हो सकते है पूरे मुस्लिम समुदाय के राष्ट्रपिता नहीं हो सकते. इस दौरान आरएसएस के प्रमुख ने मुस्लिमों को साधने के लिए झूठ परोसा. उन्होंने कहा कि ‘सभी हिंदुओं तथा मुसलमानों का डीएनए एक ही है. जब की यह साफ झूठ है.


राखीगडी में मिले कंकाल के डीएनए परीक्षण में यहा के मूलनिवासी लोगों का डीएनए मिला. लेकिन आर्य यानी यमनीया लोगों का डीएनए नहीं मिला. वहीं अमेरिका के उताह विश्ववि़द्यालय के मायकल बामशाद और भारत के कुछ विद्यापीठोंने मिलकर की गई डीएनए रिसर्च में अनु.जाति, अनु.जनजाती, ओबीसी और धर्मपरिवर्तीत लोगों का डीएनए आर्य ब्राह्मणों के डीएनए से 99 फीसदी नहीं मिलता. यानी यहां के एससी, एसटी ओबीसी और माइनॉरिटी के लोगों को डीएनए समान है. और आर्य ब्राह्मणों का डीएनए अलग है. इसकी रिपोर्ट 21 मई 2001 में टाइम्स ऑफ इंडिया नाम के अखबार में छपकर आयी थी.


मुस्लिम लोग यहा कि मूलनिवासी धर्मपरिवर्तीत लोग है. आर्य ब्राह्मण यहा के लोग नहीं है. वे विदेशी लोग है. यह बात डीएनए ने साबित कर दी है. बामसेफ संगठन के लोगों ने ब्राह्मण विदेशी है, ऐसा जब से प्रचार करना शुरू कर दिया तब से मोहन भागवत पूरे देश में जाकर कह रहे है कि हमारा सबका डीएनए एक ही है और सब हिंदू है. लेकिन देश के अधिकांश जाग्रत लोग हिंदू बनने के लिए तैयार नहीं. अपना विदेशीपण छूपाने के लिए मोहन भागवत ऐसे शब्दों का सहारा ले रहे है. यही वजह हो सकती है कि अब वे मुस्लिमों से नजदीकी बढ़ा रहे हो.

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