नई दिल्ली : भाजपा और आप के बीच एमसीडी चुनाव को लेकर मचे घमासान के बीच दिल्ली सरकार विजिलेंस डिपार्टमेंट ने राजधानी के स्कूलों में बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर हड़कंप मचा दिया है. 4 दिसंबर 2022 को दिल्ली नगर निगम के चुनाव होने हैं इससे पहले केजरीवाल सरकार के सामने घोटाले का एक नया ‘जिन्न’ आकर खड़ा हो गया है. सतर्कता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2405 क्लास रूम बनाने के दौरान केजरीवाल सरकार ने जमकर भ्रष्टाचार हुआ.
विजिलेंस विभाग के अनुसार, अप्रैल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीडब्ल्यू को दिल्ली के 193 सरकारी स्कूलों में 2405 अतिरिक्त क्लासरूम बनाने का निर्देश दिया था. विजिलेंस विभाग ने क्लासरूम बनाने की जरूरत का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया. इसके आधार पर 194 स्कूलों में 7180 इक्विलेंट क्लास रूम बनाए जाने का अनुमान लगाया जो 2405 क्लासेस के मुकाबले लगभग तीन गुना था. सीवीसी ने 17 फरवरी 2020 की एक रिपोर्ट में पीडब्ल्यूडी के दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी दी.? विभाग ने रिपोर्ट भेजकर क्वट से जवाब मांगा था. लेकिन, दिल्ली सरकार ने ढाई साल तक इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया. इसके बाद अगस्त 2022 में दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने मुख्य सचिव को निर्देश देकर देरी की जांच करके रिपोर्ट देने कहा.
सूत्रों ने बताया कि एलजी के आदेश पर विभाग ने जो रिपोर्ट दी उसमें बताया गया है कि टेंडर प्रोसेस में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन हुआ. इसमें निजी लोगों की भी अहम भूमिका रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बेहतर सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर 205.45 करोड़ रुपए एकस्ट्रा खर्च आया. गैर संवैधानिक एजेंसियां यानि मैसर्स बब्बर एंड बब्बर एसोसिएट्स एडमिनिस्ट्रेशन चला रहे थे. इस एजेंसी ने अधिकारियों के लिए नियम और शर्तें तय किये. दिल्ली का का शिक्षा विभाग इन नियमों का पालन करवा रहा था.
बता दें कि दिल्ली सरकार ने क्लास रूम निर्माण प्रोजेक्ट के तहत 989.26 करोड़ रुपए दिए गए थे. टेंडर वैल्यू 860.63 करोड़ रुपए थी. प्रोजेक्ट में कुल 1315.57 करोड़ रुपए खर्च हुए. कोई नया टेंडर दिए बिना एक्स्ट्रा काम किया जा रहा था. इससे कॉस्ट 326.25 करोड़ रुपए तक बढ़ गई जो टेंडर के लिए सेंक्शन अमाउंट से 53 फीसदी ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया कि 194 स्कूलों में 160 टॉयलेट्स बनाए जाने थे, लेकिन 37 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा खर्च करके 1214 टॉयलेट बनाए गए. दिल्ली सरकार ने इन टॉयलेट को क्लासरूम बताया और 141 स्कूलों में केवल 4027 क्लासरूम ही बनाए.
चौंकाने वाली बात यह है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग को 25 अगस्त 2019 को क्लास रूम कंस्ट्रक्शन में भ्रष्टाचार और लागत बढ़ने की शिकायत मिली थी. बेहतर सुविधाओं के नाम पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 90 फीसदी तक बढ़ाई गई. दिल्ली सरकार ने बिना टेंडर के 500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी को मंजूरी भी दे दी. इतना ही नहीं, जीएफआर, सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल का जमकर इस दौरान उल्लंघन हुआ और घटिया क्वालिटी के आधार पर आधे-अधूरे काम को पूरा दिखाया गया.