अहमदाबाद : गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर का हुए पुल हादसे में 135 लोगों की मौत हुई. इस पुल के रखरखाव को लेकर प्रशासन और ठेकेदार की कई खामियां सामने आ चुकी है. इस हादसे में जान गंवाने वाले परिजनों को मुआवजा देने को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की खिंचाई कर दी है. कोर्ट ने पाया कि हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को दिया गया मुआवजा कम है. कहा कि मुआवजा वास्तविक रूप में होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि गंभीर रूप से घायलों को दिया जाने वाला मुआवजा भी कम है. कोर्ट ने राज्य से इस मामले में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने और मुआवजे के लिए एक नीति बनाने को कहा.
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया है कि वह राज्य के सभी पुलों का सर्वेक्षण कराए. हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि सरकार इसकी अच्छी तरह जांच कर लें कि सभी पुल सही स्थिति में हैं कि नहीं, अगर नहीं हैं तो उनकी मरम्मत कराए. कोर्ट ने सभी पुलों की सूची भी मांगी है, और यह बताने को भी कहा है कि उनमें से कितने समान स्थिति में हैं. निर्देश में कहा गया है कि रिपोर्ट प्रमाणित होनी चाहिए और इसे कोर्ट के सामने रखी जाए.
इससे पहले मोरबी की एक अदालत ने हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से आठ की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी. दीपक पारेख, दिनेश दवे, प्रकाश परमार, मनसुखभाई टोपिया, मादेवभाई सोलंकी, अल्पेशभाई गोहिल, दिलीपभाई गोहिल और मुकेशभाई चौहान की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है. देवांग परमार ‘देव प्रकाश फेब्रिकेशन’ के सह-मालिक हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में दीपक पारेख और ओरेवा समूह के तीन अन्य लोग शामिल हैं जो पुल का प्रबंधन कर रहे थे.
गौरतलब है कि मोरबी पूल हादसे को लेकर कई लापरवाही अब तक सामने आ चुकी है. इसमें पुल का सुरक्षा ऑडिट किए बैगर ही जनता के लिए खोल दिया है. इस मामले में एफएसएल की शुरुआती जांच से खुलासा हुआ है कि मरम्मत के समय जंग लगी केबल, टूटे लंगर पिन और ढीले बोल्ट सहित अन्य खामियों को दूर नहीं किया गया. धातु के नए फर्श ने पुल का वजन बढ़ा.
मरम्मत करने वाले दोनों ठेकेदार भी इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे. समूह ने 30 अक्टूबर को 3,165 टिकट बेचे थे और पुल के दोनों ओर टिकट बुकिंग कार्यालयों के बीच कोई समन्वय नहीं था. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए जा चुके बुकिंग क्लर्क को टिकटों की बिक्री बंद कर देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने टिकट बेचना जारी रखा और अधिक लोगों को पुल पर जाने दिया. गौर करने वाली बात यह है कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद अब तक राज्य सरकार ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है.