मुझे देश से बाहर जाने की बात कही जाती है. आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने किसी धर्मविशेष पर टिप्पणी की तो उन्हें क्यों नहीं भेजा जाता? सिंह ने कहा कि चीजों का विरोध डॉ. राम मनोहर लोहिया और नागार्जुन ने भी किया था.
पटना : देशभर में ब्राह्मणी धर्म पर सियासी हमले तेज होते जा रहे है. तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि द्वारा वैदिक ब्राह्मणी सनातन धर्म पर हमले के बाद बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने एक बार फिर से ब्राह्मण समुदाय का धर्मग्रंथ रामचरितमानस पर हमला बोला है. चंद्रशेखर सिंह ने रामचरितमानस को पोटेशियम साइनाइड बताया. उन्होंने कहा कि जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध करता रहूंगा. चंद्रशेखर गुरुवार 14 सितंबर को पटना में बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
चंद्रशेखर सिंह यहीं नहीं रुके, रामचरितमानस के अरण्य कांड की चौपाई ‘पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा’ को लेकर कहा कि यह क्या है? क्या इसमें जाति को लेकर गलत बात नहीं कही गई है? इसके बाद मंत्री ने बोला कि पिछली बार रामचरितमानस के सुंदर कांड के दोहे पर जीभ काटने की कीमत 10 करोड़ रुपये लगाई गई थी तो मेरे गले की कीमत क्या होगी?
शिक्षा मंत्री ने कहा कि क्या गुणहीन विप्र पूजनीय है और गुणयुक्त शूद्र वेद का जानकार होने पर भी पूजनीय नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे देश से बाहर जाने की बात कही जाती है. आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने किसी धर्मविशेष पर टिप्पणी की तो उन्हें क्यों नहीं भेजा जाता? सिंह ने कहा कि चीजों का विरोध डॉ. राम मनोहर लोहिया और नागार्जुन ने भी किया था. उन्होंने कहा कि एकलव्य का अंगूठा काटा गया। आप लोग जगदेव प्रसाद को गोली मारने के कारण को जरा गूगल करके पढ़िएगा तो पता चल जाएगा कि मैं किन चीजों का विरोध कर रहा हूं.
शिक्षा मंत्री ने इस दौरान पीएम मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लोग 56 इंच वाले से डिग्री क्यों नहीं मांगते. बार-बार नौंवीं पास और आठवीं पास कहकर जो लालू यादव के पुत्र पर टिप्पणी होती है, उस पर भी हमें कहना है. उन्होंने कहा कि अगर लालूजी के राज में जंगलराज ही था तो चौकीदार की तरह, 56 इंच वाले की तरह उस समय भी डिग्री खरीद ली गई होती. हम सच बोलने वाले लोग हैं. लोग हमें बताएं कि जब सबके पूर्वज चिम्पैंजी थे तो ये जातियां कहां से आईं?
बता दें कि इसी साल जनवरी में चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को लेकर नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं. रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं.’ उन्होंने आगे कहा था कि एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट, ये सभी देश को, समाज को नफरत में बांटते हैं.
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