जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले रिसर्च करो कि ताजमहल का निर्माण किसने किया था, पहले इस मसले पर रिसर्च करो. यूनिवर्सिटी जाकर इस विषय पर जानकारी एकत्र करो. पीएचडी करो और यदि कोई रोके तो हमारे पास आना. उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि इस विषय पर पहले जानकारी हासिल करो.
नई दिल्ली : विवादित बाबरी मस्जिद राम मंदिर का फैसला मंदिर के पक्ष क्या आया तो ब्राह्मणवादी संगठनों और भाजपा के नेता मुगल काल में बनी मस्जिद और धरोहरों पर अपना दावा ठोकने लगे है. केवल दावा ही ठोकने लगे है बल्कि इसके लिए बाकायदा कोर्ट में याचिकाए दायर कर रहे है. ऐसी ही एक याचिका ताजमहल को लकर दायर की गई. ताजमहल को लेकर दायर याचिका पर आज 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई.
ताजमहल की सुनवाई को लेकर हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर लताड़ लगाई है. जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले रिसर्च करो कि ताजमहल का निर्माण किसने किया था, पहले इस मसले पर रिसर्च करो. यूनिवर्सिटी जाकर इस विषय पर जानकारी एकत्र करो. पीएचडी करो और यदि कोई रोके तो हमारे पास आना. उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि इस विषय पर पहले जानकारी हासिल करो.
दरअसल, ताजमहल में बने 22 कमरों को खोलने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दावा किया गया है कि कई सालों से बंद इन कमरों में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं. आज इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई चल रही है.
उधर जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य और बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने दावा किया है कि ताजमहल जयपुर राजपरिवार की जमीन पर बना हुआ है. उन्होंने जरुरत पड़ने पर इसके दस्तावेज भी उपलब्ध कराने की बात कही है. बीजेपी सांसद ने ताजमहल के बंद कमरों को खोलकर उनकी जांच कराने की भी मांग की है.
सांसद दीया कुमारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उस समय उनका शासन काल था. उनको जमीन अच्छी लगी तो उन्होंने इसे एक्यवार कर लिया. लेकिन आज भी कोई जमीन सरकार एक्वायर करती है तो मुआवजा देती है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, इसके बदले में मुआवजा दिया था. लेकिन उस वक्त ऐसा कोई कानून नहीं था कि अपील की जा सके. कोई विरोध किया जा सके. उन्होंने कहा कि, अच्छा है लोग अब इसे लेकर सामने आ रहे हैं और बात कर रहे हैं.
बता दें कि ब्राह्मणवादी संगठनों के नेता लगातार मुगल काल में बने धरोहरों पर अपना दावा जता रहे है. इसके पहले उन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद पर दावा जताया. इसके लिए कोर्ट गए. कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का उत्खनन करने को मंजूरी का आदेश दिया. अभी इस पर फैसला आना बाकी है. इसके बाद अब ब्राह्मणवादी संगठनाएं मथुरा में भी उत्खनन की मांग कर रहे है. केवली मांग ही नहीं कर रहे है, बल्कि इसके लिए कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. अब आगरा का ताजमहल पर भी बेतुका दावा ठोक रहे है. कह रहे है कि ताजमहल मकबरा नहीं बल्कि मंदिर.
दूसरी बात यह है कि सम्राट अशोका ने अपने काल में 84 हजार विहार बनवाए थे. उसमें से आज एक भी बचा हुआ नहीं है. तो क्या ब्राह्मणों ने विहार को जमीदोज कर मंदिर बनवाए थे? कई इतिहासकारों का मानना है कि देशभर में कई ऐसे मंदिर है जो पहले के बुद्ध विहार है और वहां आज भी बुद्ध की मूर्ति को विक्षित कर उसकी देवी के रूप में पूजा की जा रही है.
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