गुजरात दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है. यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा पैदा करता है. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को भी शामिल किया गया है.
नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बाद छात्रों के सिलेबस में समुचित कटौती और अप्रासंगिक होने का हवाला देकर एनसीईआरटी ने कक्षा 12 की अपनी पाठ्यपुस्तक से 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े अध्याय को हटाने का निर्णय लिया है. इसके साथ ही एनसीईआरटी ने शीत युद्ध और मुगल अदालतों के बारे में लिखे अध्यायों को भी अपनी पुस्तकों से हटा दिया है. एनसीईआरटी के मुताबिक दंगों के साथ-साथ नक्सली आंदोलन का इतिहास और इमरजेंसी विवाद को भी किताब से हटाने का फैसला किया गया है.
एनसीईआरटी की ओर से जारी एक नोट के अनुसार गुजरात दंगों पर आधारित पेज संख्या 187-189 को किताब से हटा दिया गया है. इस पाठ में लिखा गया था, गुजरात दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है. यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा पैदा करता है. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को भी शामिल किया गया है. वाजपेयी ने कहा था, उनका ‘‘मुख्यमंत्री (गुजरात के) को एक संदेश है कि उन्हें ‘राज धर्म’ का पालन करना चाहिए. एक शासक को जाति, पंथ और धर्म के आधार पर अपनी प्रजा के बीच कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए.’’
‘‘नक्सली आंदोलन“ के इतिहास पर पुस्तक के पेज 105 और ‘‘आपातकाल के संबंध में विवाद“ पर पेज 113-117 को भी हटा दिया गया है. एनसीईआरटी ने अपने नोट में कहा कि ये विषय अन्य सिलेबस में भी शामिल हैं, जिससे यह पाठ ओवरलैप हो रहा था. जो अप्रासंगिक है. साथ ही कोरोना महामारी को देखते हुए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करना जरूरी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी इसी पर जोर देती है. इसलिए एनसीईआरटी ने सभी किताबों को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय लिया है.
यह भी पढ़े : बामसेफ ने किया गद्दारों से निपटने का फैसला! शुरू किया ‘गद्दारों से सावधान, राष्ट्रीय अभियान!’
इससे पहले सीबीएसई बोर्ड ने कक्षा 9, 10, 11 और 12 के लिए नया सिलेबस घोषित किया था. सिलेबस में किए गए बदलाव के तहत दसवीं के सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से उर्दू शायर फैज अहमद फैज की नज्मों को हटा दिया गया है. सीबीएसई ने कक्षा 11 वीं की पुस्तक से इस्लाम की स्थापना, उसके उदय और विस्तार की कहानी बताने वाले अध्याय ’सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स’ को हटाया है. वहीं 12वीं कक्षा की पुस्तक से मुगल साम्राज्य से जुड़े पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है.
इसके साथ ही इन दंगों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट, राजनीति विज्ञान की पुस्तक से अनु.जाति आंदोलन पर आधारित कविता और शीत युद्ध से जुड़ी सामग्री भी हटाई जा रही है. दसवीं कक्षा की पुस्तकों में से धर्म से संप्रदायवाद और राजनीति से कवि फैज अहमद फैज की कविता और लोकतांत्रिक राजनीति किताब से संप्रदायवाद, धर्मनिरपेक्ष राजे वाले अंशों को हटाया जा रहा है.
वहीं, लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन और लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं रहेंगे। इसी तरह से सातवीं और आठवीं कक्षा की समाज विज्ञान की किताब से अनु.जाति के लेखक ओम प्रकाश वाल्मीकि के अंश को हटाया जा रहा है। सातवीं कक्षा की पुस्तक हमारा इतिहास-2 से सम्राटों के प्रमुख अभियान और घटनाएं जैसे पाठ हटाए गए हैं.
PAY BACK TO THE SOCIETY NATIONWIDE AGITATION FUNDDonate Here
आपके पास अगर कोई महत्वपुर्ण जानकारी, लेख, ओडीयो, विडीयो या कोई सुझाव हैै तो हमें नीचे दिये ई-मेल पर मेल करें.:
email : news@mulniwasinayak.comAll content © Mulniwasi, unless otherwise noted or attributed.
It is clear from that the lack of representation given to our collective voices over so many issues and not least the failure to uphold the Constitution - that we're facing a crisis not only of leadership, but within the entire system. We have started our “Mulnivasi Nayak“ on web page to expose the exploitation and injustice wherever occurring by the brahminical forces & awaken the downtrodden voiceless & helpless community.
Media is playing important role in democracy. To form an opinion is the primary work in any democracy. Brahmins and Banias have controlled the fourth pillar of the democracy, by which democracy is in danger. We have the mission to save the democracy & to make it well advanced in common masses.