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सत्यपाल मलिक के ख़ुलासे के बाद पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के परिजनों ने की जांच की मांग

Published On :    20 Apr 2023   By : MN Staff
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मारे गए सैनिकों में से एक भागीरथ के पिता परशुराम ने बताया कि 14 फरवरी 2019 के दुर्भाग्यपूर्ण दिन के बाद से कई सवाल उन्हें परेशान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मलिक के खुलासे से उनके इस विश्वास की पुष्टि होती है कि पुलवामा हमला ‘सरकार द्वारा रचा गया एक राजनीतिक स्टंट’ था. परशुराम कहते हैं, ‘मुझे 100 प्रतिशत विश्वास है कि यह सब सत्ता में रहने के लिए किया गया है, और मोदी सरकार ने कुर्सी पाने के लिए ऐसा किया है.’



नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हाल ही में द वायर के साथ किए एक साक्षात्कार के दौरान पुलवामा आतंकी हमले को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए. मलिक ने कहा था कि पुलवामा आतंकी हमला केवल मोदी सरकार की ‘अक्षमता और लापरवाही‘ के कारण हुआ और जानें बचाई जा सकती थीं, अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सैनिकों को विमान से पहुंचाया होता. पूर्व राज्यपाल ने यह भी कहा था कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि उनकी सरकार की ‘अक्षमता’ से जानें चली गई हैं, तो उन्हें ‘चुप’ रहने के लिए कहा गया था. उनके इस खुलासे के बाद पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले 40 सैनिकों में से कुछ के परिवार के सदस्य उस घटना की जांच की मांग कर रहे हैं. घटना के समय मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, जो उस समय राष्ट्रपति शासन के अधीन था.


वायर के अनुसार, मारे गए सैनिकों में से एक भागीरथ के पिता परशुराम ने बताया कि 14 फरवरी 2019 के दुर्भाग्यपूर्ण दिन के बाद से कई सवाल उन्हें परेशान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मलिक के खुलासे से उनके इस विश्वास की पुष्टि होती है कि पुलवामा हमला ‘सरकार द्वारा रचा गया एक राजनीतिक स्टंट’ था. परशुराम कहते हैं, ‘मुझे 100 प्रतिशत विश्वास है कि यह सब सत्ता में रहने के लिए किया गया है, और मोदी सरकार ने कुर्सी पाने के लिए ऐसा किया है.’


उन्होंने कहा कि करीब 200 किलोग्राम विस्फोटकों से लदा एक वाहन कैसे कहीं से निकलकर जवानों को ले जा रही बस को उड़ा सकता है. गुस्से में परशुराम पूछते हैं, ‘उस समय प्रधानमंत्री कहां थे? क्या वह सो रहे थे?’ करण थापर के साथ मलिक के साक्षात्कार के बाद विपक्ष ने खुफिया विफलता के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग को फिर से शुरू कर दिया है.


 आतंकी हमले में जान गंवाने वाले जीतराम के भाई विक्रम अपने भाई की असामयिक मौत की जांच की मांग कर रहे हैं. विक्रम ने कहा कि उनका परिवार अभी भी उनके भाई की मौत के गम में है. वे बोले, ‘जिन्होंने अपने परिवार के सदस्य को खोया है, केवल वही जानते हैं कि कैसा लगता है?’ हालांकि, विक्रम कहते हैं कि मलिक को घटना के समय ही बोलना चाहिए था.


रोहिताश का परिवार भी उतना ही व्याकुल है और घटना के वर्षों बाद भी दुख में जी रहा है. रोहिताश के भाई जितेंद्र का कहना है कि सरकार की अक्षमता के कारण उनके भाई के साथ जो हुआ उसे सुनने के बाद उन्हें अन्य सैनिकों के जीवन की चिंता है. जितेंद्र कहते हैं, ‘जो उन जवानों के साथ हुआ वो किसी और के साथ नहीं होना चाहिए. गृह मंत्रालय को जवानों को ले जाने के लिए विमान के अनुरोध को मना नहीं करना चाहिए था. सैनिकों की मांग पूरी करना सरकार की जिम्मेदारी है.’ उनका कहना है, ‘सत्यपाल मलिक ऐसे आदमी हैं कि वो किसी से नहीं डरते और मैं मानता हूं कि वो जो कहते हैं, सही कहते हैं.’


इस बीच, बुधवार सुबह द टेलीग्राफ ने भी हमले में शहीद हो गए दो सीआरपीएफ जवानों के परिवार के सदस्यों का साक्षात्कार किया है. जो बंगाल के थे. सुदीप विश्वास नादिया जिले के तेहट्टा के रहने वाले थे और बबलू संतरा हावड़ा के बौरिया के रहने वाले थे. सुदीप के पिता सन्यासी विश्वास ने अखबार को बताया, ‘इन चार सालों में मैंने सुरक्षा इंतजामों में चूक के बारे में बहुत कुछ सुना है. लेकिन अभी तक कुछ भी निश्चित रूप से सामने नहीं आया है.’ 98 बटालियन में शामिल सुदीप की 28 साल की उम्र में मौत हो गई थी. सुदीप की बहन झुंपा ने कहा, ‘केंद्र को अपनी सफाई सामने रखना चाहिए.


बबलू की मां बोनोमाला संतरा और उनकी पत्नी मीता ने अखबार को बताया कि हालांकि वे सच जानना चाहते हैं, लेकिन इससे कुछ नहीं बदलेगा. मीता ने आगे कहा, ‘भारी बर्फबारी के कारण सेना की आवाजाही निलंबित कर दी गई थी; इस फैसले को खारिज करने का आदेश मेरे लिए एक रहस्य बना हुआ है.’


उल्लेखनीय है कि मलिक के बयान के बाद भारतीय सेना के एक पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने भी कहा कि सैनिकों की मौत का दोष प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है. उन्होंने द टेलीग्राफ से कहा था कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, दोनों को उस खुफिया विफलता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए जिसके कारण यह घटना हुई. मलिक के खुलासे के बाद जहां विपक्ष सरकार पर हमलावर बना हुआ है, वहीं सरकार ने अभी तक मलिक के खुलासे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.



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