सरकार इस विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में पोस्ट ऑफिस और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले संशोधन बिल पेश करने वाली है. कुल 4 बिल पेश किए जाएंगे. जिनमें चुनाव आयोग वाला विधेयक सबसे अहम है.
नई दिल्ली : संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा. सरकार के विशेष सत्र बुलाने के ऐलान किए जाने के बाद से ही विपक्षी दल सवाल उठा रहे थे कि सरकार ने विशेष सत्र को बुलाने को लेकर उसके साथ चर्चा नहीं की. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इस दौरान कई ऐसे बिल ला सकती है. जिससे लोग चौंक जाए. सरकार के विशेष सत्र बुलाने के बाद भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है.
मोदी सरकार अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेती रहती है. अभी हाल ही में संसद का मॉनसून सत्र समाप्त हुआ. लेकिन सरकार ने फिर से 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस दौरान सरकार कई ऐसे बिल ला सकती है. जिससे लोग चौंक जाए.
सूत्रों के मुताबिक सरकार इस विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में पोस्ट ऑफिस और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले संशोधन बिल पेश करने वाली है. कुल 4 बिल पेश किए जाएंगे. जिनमें चुनाव आयोग वाला विधेयक सबसे अहम है. इस संशोधन विधेयक के जरिए सरकार चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से सुप्रीम कोर्ट का दखल खत्म करना चाहती है. नई व्यवस्था के तहत सीईसी की नियुक्ति वाले पैनल में चीफ जस्टिस नहीं रहेंगे. चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले बिल के सेक्शन 7 में कहा गया है कि इसके लिए एक समिति गठित होगी.
इस समिति में पीएम, उनके द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता होंगे. इसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अब चीफ जस्टिस को इस समिति से बाहर रखा जाएगा. इसके अलावा कहा जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री और पीएम मिलकर किसी भी नियुक्ति को मंजूर कर लेंगे. विपक्ष के नेता की राय को नजरअंदाज करने का विकल्प भी उनके पास रहेगा. इसके चलते विपक्ष भी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहा है. पिछले सेशन में ही इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया था. स्पेशल सेशन के पहले दिन 18 सितंबर को संसद के 75 सालों के इतिहास पर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा है. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि सरकार विशेष सत्र के दौरान यूसीसी को लेकर कोई कानून ला सकती है.
लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को जारी एक बुलेटिन में बताया कि विशेष सत्र का एजेंडा क्या होने वाला है. बुलेटिन के मुताबिक पांच दिवसीय विशेष सत्र में संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा में हासिल उपलब्धियों, अनुभवों, यादों पर चर्चा होगी. इसके अलावा चार विधेयकों पर चर्चा होगी जिनमें एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023, डाकघर विधेयक 2023 और मख्य निर्वाचन आयुक्त, अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा शर्त विधेयक 2023 से जुड़े विधेयक हैं. पहले दो विधेयक राज्यसभा से पारित हो चुके हैं और लोकसभा में लंबित हैं.
कुछ दिनों पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर विशेष सत्र बुलाए जाने का एजेंडा पूछा था. एजेंडा जारी होने के बाद कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ‘आखिरकार सोनिया गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र के दबाव में मोदी सरकार ने पांच दिवसीय विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा की है. फिलहाल जो एजेंडा बताया गया है. उसमें कुछ भी नहीं है.’
संसद का सत्र जब बुलाया गया था तो उसके तुरंत बाद सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर कमेटी बनाई थी. इसके बाद चर्चा होने लगी कि सरकार संसद के विशेष सत्र में ‘एक देश एक चुनाव’ से जुड़ा बिल ला सकती है. लेकिन बुधवार को जारी बुलेटिन में इस बिल का कोई जिक्र नहीं है. सचिवालय के मुताबिक विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में प्रश्नकाल और गैर-सरकारी कामकाज नहीं होगा. बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी गुरुवार को विशेष संसद सत्र में सदन में उपस्थित रहने के लिए सभी पार्टी सांसदों को तीन-लाइन व्हिप जारी किया है.
बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब भाजपा ने अपने सांसदों के लिए इस तरह का कोई व्हिप जारी किया है. इस पहले भाजपा ने कश्मीर से धारा 370 को हटाते समय, तीन तलाक, जीएसटी, सीएए के पास होने के समय व्हिप जारी किया था.
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