विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तमिलनाडु इकाई के पूर्व नेता आरबीवीएस मणियन को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए, माम्बलम पुलिस ने कहा कि मणियन पर एससी/एसटी अधिनियम सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.
चेन्नई : भारतीय संविधान के निर्माता डा़ बाबासाहेब अम्बेडकर के खिलाफ एक विवादित टिप्पणी करना विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता को भारी पड़ गया. इस मामले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तमिलनाडु इकाई के पूर्व नेता आरबीवीएस मणियन को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए, माम्बलम पुलिस ने कहा कि मणियन पर एससी/एसटी अधिनियम सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.
चेन्नई पुलिस के एक बयान में कहा गया कि 11 सितंबर को टी नगर भारतीय विद्या भवन में एक कार्यक्रम के दौरान मनियान ने दलितों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. इसके आधार पर मनियान को आज सुबह गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत में पेश किया जाएगा.
चेन्नई पुलिस ने मणियन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 505(1)(बी), और 505(2) और धारा 3(1)(आर), 3(1)(यू) और एससी/एसटी एक्ट 1989 की धारा 3(1)(वी) के तहत मामला दर्ज किया है.
सोमवार को यहां एक निजी समारोह में पूर्व विहिप नेता ने कहा था कि भारतीय संविधान किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं बनाया गया, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास था. उन्होंने दावा किया कि संविधान को देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में 300 सदस्यों की टीम ने तैयार किया था. मणियन ने कहा कि कुछ पागल कह रहे हैं कि अंबेडकर ने ही संविधान बनाया और कहा कि इन लोगों ने अपनी बुद्धि गिरवी रख दी है.
उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर वीसीके अध्यक्ष थिरुमावलवन की जाति से नहीं थे, उन्होंने कहा कि थिरुमावलवन चक्कलियार थे, जबकि अंबेडकर परियार थे. उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर के बजाय राजेंद्र प्रसाद को संविधान बनाने का श्रेय दिया जाना चाहिए था. अंबेडकर केवल मसौदा समिति के अध्यक्ष थे. मनियां ने आगे कहा कि अंबेडकर ने कभी नहीं कहा कि उन्होंने संविधान लिखा है. पूर्व विहिप नेता ने कहा, अंबेडकर ने बहसों, चर्चाओं और भाषणों का केवल सत्यापन किया था और उनका इसमें कोई योगदान नहीं था.
मालुम हो कि डा़ बाबासाहेब अंबेडकर मसौदा समिति के अध्यक्ष होने के नाते कानून के मसौदे खुद लिखते थे. इसके बाद संविधान सभा में इस पर बहस होती थी. किसी कानून के मसौदे को लेकर विवाद होने पर डा़ बाबासाहेब अंबेडकर खुद जवाब देते थे. इसके बाद संविधान सभा के सदस्यों का समाधान होने पर उसे संविधान सभा से सम्मती मिलती थी. रही बात मसौदा लिखने की तो मसौदा समिति में जो सदस्य थे उनमें से कुछ विदेश चले गए थे. कुछ बीमार रहते थे. इसलिए मसौदा लिखने की पूरी जिम्मेदारी बाबासाहेब अंबेडकर पर आई थी, जो उन्होंने निभाई.
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