अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत सेवा क्षेत्र गतिविधि तथा मजबूत मांग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी. इसके अलावा फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में विकास दर 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है.
नई दिल्ली : अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास ग्रोथ अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है, हालांकि अल नीनो के खतरे पर साल के अंत में महंगाई का अनुमान बढ़ाया गया.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत सेवा क्षेत्र गतिविधि तथा मजबूत मांग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी. इसके अलावा फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में विकास दर 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है. फिच ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की रिपोर्ट में कहा कि निर्यात, बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर नरम रह सकती है.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर धीमी पड़ने की आशंका है. इसका कारण यह है कि निर्यात लगातार कमजोर हो रहा है, ऋण वृद्धि स्थिर है और आरबीआई के नवीनतम द्विमासिक उपभोक्ता भरोसा सर्वेक्षण से पता चलता है कि उपभोक्ताओं में आय तथा रोजगार की संभावनाओं को लेकर कुछ निराशाजनक धारणा बन रही है.
मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई खासकर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में अस्थायी तौर पर जो वृद्धि हुई है, उससे आने वाले महीनों में सोच-विचाकर कर किए जाने वाले उपभोक्ता खर्च पर अंकुश लग सकता है. इसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं पर महंगाई का प्रभाव अस्थायी हो सकता है लकिन अन्य बुनियादी चीजें अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं.
फिच ने कहा है कि भारत वैश्विक आर्थिक नरमी से अछूता नहीं रहेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष आरबीआई के नीतिगत दर में 2.5 फीसदी की वृद्धि के प्रभाव से प्रभावित होगी. वहीं, कमजोर मानसून आरबीआई के मुद्रास्फीति नियंत्रण को जटिल बना सकता है. रेटिंग एजेंसी ने अल नीनो प्रभाव का हवाला देते हुए 2023 के अंत तक खुदरा मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पूर्व में जताये गये पांच प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है.
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