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अडानी समूह में धांधली की जानकारी सेबी ने साल 2014 से छिपाई, हलफनामा में दावा

Published On :    18 Sep 2023   By : MN Staff
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सेबी ने अडानी को बचाने के लिए कई संशोधन किए. इसमें कहा गया है कि सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, उसमें कुछ तथ्यों को छिपाया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि डीआरआई ने 2014 में अडानी समूह की ओर से संयुक्त अरब अमीरात की एक कंपनी से बिजली की कुछ मशीनों के आयात के दौरान ज्यादा मूल्य लगाने के मामले की जांच की थी.



नई दिल्ली : कई तरह के घोटाले करके दुनिया के अमीरों की लिस्ट में शुमार हुए गौतम अडानी की अड़चनें बढ़ती जा रही हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च के खुलासे के बाद अडानी चाहे कितनी भी सफाई दें पर इंडिया से लेकर मॉरीशस तक मुसीबतों का मंजर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. अब अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता अनामिका जायसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर किया किया है. जिसमें सेबी पर आरोप लगाया है कि उसने अडानी की ओर से स्टॉक मार्केट में हेराफेरी करने से संबंधित राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के 2014 के अलर्ट को छिपाया था.


अनामिका ने हलफ़नामे में कहा है कि सेबी ने अडानी को बचाने के लिए कई संशोधन किए. इसमें कहा गया है कि सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, उसमें कुछ तथ्यों को छिपाया गया है. हलफनामे में कहा गया है कि डीआरआई ने 2014 में अडानी समूह की ओर से संयुक्त अरब अमीरात की एक कंपनी से बिजली की कुछ मशीनों के आयात के दौरान ज्यादा मूल्य लगाने के मामले की जांच की थी. उस समय डीआरआई ने सेबी के चेयरपर्सन को एक पत्र लिखकर अडानी समूह की ओर से पैसों की हेराफेरी के जरिये बिजली की कुछ मशीनों के आयात के दौरान ज्यादा मूल्य लगाने का आरोप लगाया था. डीआरआई को पत्र में एक सीडी भी सौंपी गई थी, जिसमें 2,323 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया था, लेकिन सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में डीआरआई के इस अलर्ट को छिपाया है.


इसके अलावा एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि मॉरीशस सरकार को अडानी द्वारा किए जाने वाले घपले का अंदाज बहुत पहले ही हो गया था. तभी उसने मई 2022 में ही अडानी की एक शेल कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार, मॉरीशस के वित्तीय नियामक वित्तीय सेवा आयोग ने इमर्जिंग इंडिया फंड मैनेजमेंट लिमिटेड (ईआईएफएम) के व्यापार और निवेश लाइसेंस रद्द कर दिए थे. ईआईएफएम दो विदेशी फंड्स का नियंत्रक था, जिसने अडानी समूह की कंपनियों में निवेश किया था और अब जांच के दायरे में है.


रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय सेवा आयोग प्रवर्तन समिति ने ईआईएफएम द्वारा कानूनों के कई प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए लाइसेंस को रद्द किया था. इससे यह स्पष्ट हो गया कि अडानी की कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त रही हैं. इस कार्रवाई के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने, कॉर्पोरेट प्रशासन सुनिश्चित करने की कोशिश की गई. लाइसेंस रद्द का मतलब ईआईएफएम का परिचालन बंद हो गया है.


इसके अलावा हाल ही में अडानी का कोयला घोटाला भी सामने आया था. इसमें गुजरात की भाजपा सरकार ने दो बिजली खरीद समझौतों के तहत पिछले पांच वर्षों में अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड को 3900 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया है. इसकी ईडी से जांच कराने की मांग की गई है.



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