छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बनाए गए विष्णुदेव साय, बीजेपी की 2024 में आदिवासी वोटों पर नजर
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ को उसका नया मुख्यमंत्री दे दिया है. आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय राज्य के अगले मुख्यमंत्री होने जा रहे हैं. बीजेपी एक आदिवासी चेहरे के जरिए ना सिर्फ इस समुदाय के वोट बैंक को पाले में करने की कोशिश रही है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 47 रिजर्व आदिवासी सीटें हथियाने के लिए यह दांव चलाया है. विष्णुदेव साय की संगठन पर मजबूत पकड़ है और संघ के भी वे करीबी माने जाते हैं, ऐसे में उनकी ताजपोशी से बीजेपी कई फायदे करवाना चाहती है.
बीजेपी लंबे समय से एक सोची समझी रणनीति के तहत आदिवासी और पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश में लगी है. इसका एक तरीका उसने ढूढ़ निकाला है, वो बड़े पदों पर ऐसे समाज के लोगों को मौका दे रही है. कुछ महीनों पहले इस देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू मिली थीं. अब पार्टी ने उसी नेरेटिव को आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ को उसका दूसरा आदिवासी सीएम बनाकर सबसे बड़ा सियासी दांव चल दिया है.
बीजेपी जब भी मुख्यमंत्री चुनती है, उसका एक क्राइटेरिया ये भी रहता है कि संघ से उसके रिश्ते कैसे चल रहे हैं. ऐसा परसेप्शन सेट हो चुका है कि अगर कोई संघ बैकग्राउंड से आता है या फिर जिसके संघ के साथ मजबूत रिश्ते रहते हैं, संगठनात्मक तौर पर वो ज्यादा मजबूत रहता है और अनुशासन बनाए रखने में उसकी भूमिका सक्रिय रहती है. विष्णुदेव साय को भी इस बात का पूरा फायदा मिला है. उनका संघ का करीबी होना उन्हें पहले ही सीएम रेस में एक प्रबल दावेदार बना गया था. बीजेपी वैसे भी 2024 से पहले एक ऐसे नेता की तलाश में थी, जो सभी को एकजुट रख सके, जिसकी संगठन पर मजबूत पकड़ रहे. साय तो कई बार प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका भी निभा चुके हैं, ऐसे में उनके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है.
बीजेपी का छत्तीसगढ़ को लेकर जो आदिवासी दांव चला गया है, इसका असर सिर्फ इस राज्य तक सीमित नहीं रहने वाला है. बल्कि पार्टी का फोकस 2024 के चुनाव पर है. बीजेपी आदिवासी चेहरे के माध्यम से झारखंड में जेएमएम को सियासी को चोट पहुंचाना चाहती है और ओडिशा में पटनायक के शासन को चुनौती देना चाहती है. क्योंकि इन दोनों ही राज्यों में आदिवासी वोट बैंक सक्रिय भूमिका निभाने वाला है.
दरअसल झारखंड में 28 आदिवासी आरक्षित सीटें हैं तो वहीं ओडिशा में 24 सीटें है. ऐसे में माना जा रहा है कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने के बाद पार्टी को इस समुदाय को साधने के लिए अपना सबसे बड़ा स्टार प्रचारक भी मिल गया है. यानी कि बीजेपी विष्णुदेव का इस्तेमाल झारखंड से लेकर ओडिशा तक के चुनाव में कर सकती है.
विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ की कुनकुरी विधानसभा से आते हैं. राज्य में आदिवासी समुदाय की आबादी सबसे अधिक है और साय इसी समुदाय से आते हैं. अजित जोगी के बाद छत्तीसगढ़ में कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं बन सका. विष्णुदेव साय 2020 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं. साल 1999 से 2014 तक वह रायगढ़ से सांसद रहे हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साय को केंद्र में मंत्री बनाया गया.
बता दें कि बीजेपी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही एक आदिवासी चेहरे को राज्य की कमान सौंप दी हो, लेकिन इससे आदिवासी समुदाय का कोई भला होने वाला नहीं है. इसके पहले बीजेपी ने अनु.जाति के एक व्यक्ति राष्ट्रपति बनाया था, लेकिन अनु.जाति के लोगों की किसी भी समस्या का समाधान नहीं हुआ. उसी तरह एक आदिवासी चेहरे को देश का राष्ट्रपति बनाया गया, बावजूद इसके देशभर में आदिवासियों पर अत्याचार जारी है. अगर ऐसा है तो छत्तीसगढ़ में एक आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने से भी आदिवासियों की समस्या का समाधान नहीं होगा. क्योंकि हमारे लोगों पोजीशन दी जाती है पावर नहीं.