हाई कोर्ट ने लगाई खट्टर सरकार को फटकार, पूछा- केवल राम रहीम को ही क्यों मिल रहा परोल?
चंडीगढ़/दै.मू.समाचार
गुरमीत सिंह राम रहीम को लगातार पैरोल मिलने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार से कहा कि वह इस मामले में जवाब देने से क्यों बच रही है. कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि जिस तरह समय-समय पर डेरा मुखी को पैरोल का लाभ दिया जा रहा है, उसी तरह दूसरे कैदियों को भी यह लाभ दिया जा रहा है या नहीं? डेरा मुखी पर सरकार जरूरत से ज्यादा मेहरबान तो नहीं है.
हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई पर यह बताया जाए कि उनके पास समान स्थिति वाले कितने अपराधियों के पैरोल निवेदन आए और कितने मामलों में पैरोल दी गई. इसके साथ ही पैरोल की मांग को लेकर हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं का ब्योरा भी सौंपने का आदेश दिया है.
दरअसल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने याचिका दाखिल करते हुए राम रहीम को बार-बार हरियाणा सरकार द्वारा दी जा रही पैरोल के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी. बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को बार बार पैरोल देने पर सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार डेरा प्रमुख को बार-बार पैरोल देना विशेष सुविधा तो नहीं है. काफी संख्या में लोग जेलों में है जो पैरोल का इंतजार कर रहे है और उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा रहा.
सरकार ने कहा कि नियमों के तहत ही राम रहीम को पैरोल दी जा रही है और जहां तक बाकी कैदियों का मामला है तो हर केस पर विचार करने के बाद पैरोल का निर्णय लिया जाता है. कोर्ट के कुछ फैसलों को हवाला देकर कहा गया कि राम रहीम हार्ड कोर अपराधी नहीं है और ऐसे में उसे पैरोल दी जा सकती है.
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई पर बताएं कि राम रहीम को पहली बार पैरोल देने के बाद सरकार के पास कितने कैदियों को पैरोल और फरलो की अर्जियां आई हैं और उनमें से कितनों को पैरोल और फरलो दी गई है. कोर्ट ने यह भी पूछा कि जिस केस में डेरा मुखी को सजा सुनाई गई है उसी अपराध के अन्य कितने दोषियों को आज तक कितनी बार पैरोल दी गई है और कितनी अर्जियां अब तक पेंडिंग हैं.
राम रहीम 21 दिन की फरलो के बाद बुधवार शाम को रोहकत की सुनारिया जेल में वापस लौट आया. उसे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यहां लाया गया. डेरा प्रमुख को राजस्थान चुनाव में मतदान से 4 दिन पहले 21 दिन की फरलो मिली थी. फरलो की अवधि के दौरान वह उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित बरनावा आश्रम में रहा. इससे पहले 20 जुलाई को 30 दिन की पैरोल और इसी साल 21 जनवरी को 40 दिन की पैरोल मिली थी.
राजस्थान चुनाव से पहले गुरमीत राम रहीम को फरलो मिलने पर सवाल भी उठे थे. दरअसल डेरा सच्चा सौदा का राजस्थान के कई जिलों में प्रभाव है. ऐसे में माना गया कि फरलो की अवधि के दौरान उन्होंने वोटिंग के संबंध में डेरा अनुयायियों को दिशा दिए. हालांकि किसी भी सजायाफ्ता कैदी के लिए पैरोल या फरलो मिलना उसका कानूनी अधिकार है.
मालुम हो कि गुरमीत राम रहीम को 2 साध्वियों से बलात्कार के मामले में 10-10 साल और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति व पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हुई है. राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी और सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी.