वेस्ट यूपी में ब्राह्मणों का शंखनाद, आरक्षण के साथ सियासत में मांगी हिस्सेदारी
मेरठ/दै.मू.समाचार
जीस समुदाय के लोग अब तक एससी/एसटी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण को भीख और बैसाखी कहते रहे है आज वहीं समुदाय के लोग खुद के लिए आरक्षण की मांग कर रहे है. दरअसल मेरठ में ब्राह्मण स्वाभिमान संखनाद नाम से एक सभा आयोजित कि गई. इस सभा में शामिल हुए कई साधू- संतों ने कहा कि अति पिछड़ों के साथ ब्राह्मणों की सुध ली जाए, राजनीति में उनकी हिस्सेदारी दी जाए.
साथ ही ब्राह्मण आयोग के गठन की भी मांग की गई. ब्राह्मणों के लिए आरक्षण भी मांगा गया और कहा गया कि जाति नहीं गरीबी देखकर आरक्षण दिया जाए. पंचदशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि राजनीतिक रुप से ब्राह्मण समाज सर्वाधिक उपेक्षित समाज है. ब्राह्मणों के हित के बारे में कोई विचार नहीं करता है. राजनीतिक दल चिंता नहीं करता है. आज की आवश्यकता है कि ब्राह्मण समाज को उठकर खड़ा होना चाहिए और अपना नेतृत्व चुनना चाहिए और समाज को एकजुट होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज का संघर्ष यहां से प्रारम्भ होगा. वो कहते हैं कि कोई आरक्षण की सुविधा प्राप्त कर रहा है तो कोई अऩ्य सुविधाएं प्राप्त कर रहा है. आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए. जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी का नारा बुलंद किया. जनगणना केवल दो आधार पर की जाए एक जो ग़रीब है, दूसरा जो समर्थ है. वो कहते हैं कि जो युवा भी नहीं है महिला भी नहीं है किसान भी नहीं है गरीब भी नहीं है उनके बारे में कौन सोचेगा. इनसे अतिरिक्त समाज को लेकर भी स्पष्टता होनी चाहिए. अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा.
सम्मेलन में बीजेपी नेता पंडित सुनील भराला भी पहुंचे. भाजपा नेता पंडित सुनील भराला ने कहा कि तमाम समस्याओं को लेकर आज ब्राह्मण सम्मेलन में चिंतन हो रहा है. भाजपा के नेतृत्व को इस बारे में अवगत भी कराउंगा. मालुम हो कि भारतीय संविधान में सामाजिक और शैक्षणिक पिछडेपण को आरक्षण का आधार बनाया गया है. लेकिन आजकल संविधान को ताक पर रख कर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है. जो लोग कल तक कहते थे कि आरक्षण लेने वालों के पास मेरीट नहीं है, आज उसी समुदाय के लोग आरक्षण की मांग कर रहे है. अब इससे साफ हो गया है कि उनके पास भी मेरीट नहीं है.